बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

सुर-५६ : "उम्मीदों का सितारा टूटता नहीं... तोड़ा जाता हैं...!!!"

ऐसा
न कोई
जिसको कोई
आस नहीं
जिसकी कोई
प्यास नहीं ।
.....
मगर...
करें पूरी
उसकी चाहत
ऐसा कोई चिराग़
किसी के भी पास नहीं ॥
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मित्रों...,

हर इंसान के जीवन में एक या अनेक ख्वाहिशें होती हैं लेकिन जब तक उन्हें पूरा करने का प्रयास न किया जाये वो स्वतः ही किसी भी वरदान या मंत्र से फलीभूत नहीं होती लेकिन फिर भी इस दुनिया में अनगिनत लोग ऐसे हैं जो सिर्फ तमन्ना को दिल में पालकर बैठे रहते हैं पर उसे किस तरह से साकार किया जाये ये कम ही जानते इसलिये तो हर किसी की मनोकामना पूरी होती नहीं हैं क्योंकि इनमें कई ऐसे भी होते हैं जो अपने आपको और अपनी मुरादों को 'तकदीर' या 'भाग्य' या 'हाथों की लकीरें' या जो भी कहें उसके सुपुर्द कर चैन से बैठे रहते कि गर, किस्मत में होगा तो सब कुछ चलकर आ जायेगा वरना कोशिश करने से भी हासिल न होगा उनकी आस्था इतनी गहरी होती कि फिर कोई कितना भी समझाये या बताये वो हाथ नहीं हिलाते और कुछ ऐसे भी होते जो किसी नज़ूमी की शरण में चले जाते या फिर कामना पूरा करने वाले गंडे-ताबीज़ को अपने तन पर धारण कर लेते और ये मानते कि इनकी वजह से उनको अपना मनचाहा वर मिल जायेगा तो चंद लोग आँख गड़ाकर आसमां को निहारते रहते कि वहां से कोई सितारा टूटे और वो आँख मूंदकर मन ही मन उससे अपनी इच्छापूर्ति के लिये कहें जिससे कि उसकी अधूरी या दबी हुई तमन्ना या जो भी उसने माँगा हैं वो अपने ही आप पूरी होकर उसकी झोली में गिर जाये ।

यदि ईश्वर कि यही भी यही मंशा होती तो वो हम सभी को इतनी सारी कर्मेन्द्रियाँ और ज्ञानेन्द्रियाँ नहीं बल्कि सिर्फ़ तारों से भरा आकाश देता और हम जब चाहे तब किसी भी टूटते तारे को देख जो भी इच्छा करते वो पूर्ण हो जाती लेकिन ऐसा नहीं हैं जो साफ़ ज़ाहिर करता हैं कि वे चाहते हैं कि हम भले ही इन सबको अपने जीवन की छोटी-छोटी आशाओं का प्रतीक माने लेकिन ये न भूले कि जब तक हम कर्म न करेंगे हमें फल न मिलेगा और जब-जब वो धरा पर आये यही संदेश देकर गये कि हर मानव का धर्म केवल कर्महैं और उससे ही उसके जीवन में मिलने वाले कर्मफलों का निर्धारण होता हैं । इसलिये जितनी जल्द जो भी इस मर्म को जान लेता वो फिर सिर्फ सपने नहीं देखता बल्कि उन्हें पूरा करने का हौंसला भी रखता इसलिये तो सफ़लता सबके पास नहीं आती न ही सबको मिलती क्योंकि उसका मंत्र 'कर्म' हैं न कि हाथ पर हाथ धरकर बैठना या किसी मनोकामना पूर्ति मंत्र का जाप करना तो सबको अपने जीवन का ध्येय जान लेने पर उस पाने के लिये हर जतन करना चाहिये और किसी भी भय या विध्न से घबराने की जगह साहस व हौंसले से हर कठिनाई का सामना करना चाहिये फिर देखें कि किस तरह से कोशिश करने वालों की हार नहीं होतीया हम होंगे काम्याबजैसी प्रेरक पंक्तियाँ सार्थक होती दिखाई देती... जो यही बताती कि उम्मीदों का सितारा टूटता नहीं बल्कि तोड़ा जाता हैं... तो आप भी इंतजार ही न करते रहो बल्कि अपने आशा के उस तारे को हाथ बढ़कर खुद तोड़ लो हिम्मत और लगन से... बस... हो जायेगी पूरी हर चाह... :) :) :) !!!      
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२५ फरवरी २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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