रविवार, 29 मार्च 2015

सुर-८६ : लघुकथा --- 'मातम' !!


माँ कई दिनों से महसूस कर रही थी कि ‘समर’ आजकल काफी बदल गया हैं वो अब पहले जैसा खुशमिज़ाज नहीं रह गया बल्कि उदास नज़र आता हैं कुछ पूछो भी तो जवाब नहीं देता यहाँ तक कि उसके दोस्तों का आना भी बंद हो चुका था ऐसे में उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो किससे पता करें कि हुआ क्या हैं ?

आज उसने ठान लिया था कि वो इसके पीछे की वजह जानकर ही रहेगी इसलिये जब शाम को  ‘समर’ घर आया तो माँ उसे चाय देकर हंसते हुए बोली, देख बेटा तेरे किसी दोस्त की शादी का कार्ड आया हैं और अब तू भी जल्दी से शादी कर तो मैं भी इसी तरह सबको तेरी शादी का निमंत्रण भेंजू

समर ने अनिच्छा से कार्ड लिया पर जैसे ही नाम पर नज़र पड़ी ‘नंदिता संग रणवीर’ वो चौंक गया और उसे पता ही नहीं चला कब उसके हाथों ने उसे किनारे से फाड़ दिया वो तो जब माँ चिल्लाई कि बेटा, ये तू क्या कर रहा हैं ये कोई ‘शोक पत्र’ नहीं जिसे तू यूँ फाड़ रहा हैं, ये तो शादी का कार्ड हैं तब उसे होश आया और वो बुदबुदाया... माँ आज मेरा प्यार मर गया... ये मेरे प्यार का शोक संदेश ही तो हैं      

माँ उसे जाते हुये देखती रही और बिना कुछ पूछे ही उसके ग़मगीन होने का कारण जान गयी
____________________________________________________
२९ मार्च २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री

--------------●------------●

कोई टिप्पणी नहीं: