बुधवार, 15 अप्रैल 2015

सुर - १०४ : "लघुकथा --- 'टेस्टमेकर' !!!"


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मित्रों...,


सुबह की भाग दौड़ और काम निपटाने की जल्दबाजी में पत्नि के हाथ से ऑफिस जाने को तैयार पति को चाय का प्याला देते समय पूरी की पूरी चाय कपड़ों पर क्या गिर गयी कि पति परमेश्वर ने हमेशा की तरह उससे बात शुरू कर उसके मायके के सभी सदस्यों को एक साथ लपेट में लेते हुये अयोग्य, नकारा और लापरवाह घोषित कर कपड़े बदलकर ऑफिस की राह पकड़ी ।

हालांकि उसके बाद पत्नि ने नित्य की भांति अपने सारे घरेलू काम निपटाये पर, दिन भर उसके दिलों-दिमाग में वही जहरीली बातें गूंजती रही जबकि पतिदेव तो दफ्तर में घुसते ही अपने सहकर्मियों से मिलते और दोस्तों के संग हंसते-बतियाते ही सब भूलकर ताजा दम हो गये ।

फिर रात को डिनर करते समय जब पति ने कहा, आज फिर खाने में कोई जायका ही नहीं जबकि आज भी मुझे तुम्हारे हाथ के बने उन पकवानों तो छोड़ों साधारण सब्जी-रोटी का स्वाद भी नहीं भूलता जो तुमने शादी के शुरुआती दिनों में बनाया था पर... आजकल पता नहीं तुम्हारा ध्यान किधर रहता हैं तो पत्नि ने मन ही मन सोचा 'अहसास के जो भी मसाले आप मुझे दोगे वही डालकर तो मैं कुकिंग करूंगी न'
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१५ अप्रैल २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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