रविवार, 26 अप्रैल 2015

सुर-११५ : "लघुकथा : मिलियन डॉलर स्माइल...!!!"


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मित्रों...,

बहुत देर से मैं खामोश बगल के बर्थ में बैठी उस मॉडर्न लेडी कम वर्किंग वीमेन के जनरल लोगों के बारे में कमेंट्स एंड लेक्चर सुन रही थी जो आज मजबूरी में हम सबके साथ जर्नी कर रही थी क्योंकि जहाँ वो जा रही हैं एक तो वहां एयर फैसिलिटी नहीं दूजे उसकी लेटेस्ट मॉडल ए.सी. कार सर्विसिंग में थी तीसरे उसे ए.सी. में रिजर्वेशन नहीं मिला था वरना वो कभी भी हम जैसे इललिटरेट, इनडिसिप्लिन, अनकल्चर्ड लोगों के साथ यात्रा करना तो दूर बैठना तक पसंद नहीं करती ।

तभी एक स्टेशन पर गाडी रुकी और उसका हसबेंड उसके नन्हे बेटे के लिये जनरल वाली आइसक्रीम लाया तो वो उसे देखकर बड़े ही प्यार से मुस्कुराया फिर उसने सबसे पहले उसका ढक्कन खोलकर उसे चाटा फिर उसे खाना शुरू कर दिया थोड़ी सी कपड़ों या हाथ पर गिरी तो बड़े इत्मिनान से उसे चाट लिया... मैं खुश थी कि मासूमियत इन बातों से बेखबर विभिन्न विदेशी मुद्राओं के बीच सिक्के की तरह बरकरार थी ।
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२६ अप्रैल २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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