रविवार, 5 अप्रैल 2015

सुर-९३ : "लघुकथा : हंगामा हैं... क्यूँ बरपा...???"


(दो सहेलियाँ मोबाइल पर बात कर रही थी...)

सोनाली : हेलो मितिका, तूने वो वीडियो देखा क्या ?

मितिका : कौन सा ?

सोनाली : OMG सारी दुनिया में उसका ही चर्चा हैं... और मोहतरमा पूछ रही कौन सा ?

मितिका : यार, पहेलियाँ न बुझा साफ़-साफ़ बता तू किस वीडियो की बात कर रही हैं क्योंकि अभी मुझे दादी माँ को लेकर अस्पताल जाना हैं और तू अच्छे से जानती हैं कि मेरा बचपन से उनसे कितना लगाव हैं उसके बाद घर और बाहर के भी कई सारे काम निपटाने हैं... आखिर, सारी जिम्मेदारी मेरे उपर जो हैं

सोनाली : ओह... सॉरी... वो तो मैं ‘महिला सशक्तिकरण’ वाले नये वीडियो की बात कर रही थी... खैर... बाद में बात करती हूँ

मितिका : अच्छा वो... य़ार, उसमें कहने लायक कुछ भी नहीं... इसलिये अभी ही बता देती हूँ... उसे देखकर तो मुझे छुटपन में दादी माँ की सुनाई ‘पूंछ कटी लोमड़ी’ वाली कहानी याद आ गयी... जो गलती से अपनी पूंछ कट जाने पर चाहती हैं कि बाकी भी अपनी कटा ले... यही वो औरतें भी चाहती हैं जिनका अपना स्त्रीत्व बचा नहीं तो दूसरी भी अपना गंवा दे और क्या कहूँ... बाय... बाय...
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०५ अप्रैल २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री

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