मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

सुर-९५ : "मनाये विश्व स्वास्थ्य दिवस... दे निरोगी होने का संदेश...!!!"

रहें निरोगी
सभी हो सुखी
सबको देने ये संदेश
आओ हम मिलकर मनाये
विश्व स्वास्थ्य दिवस’...
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मित्रों...,

एक समय था जबकि दुनिया में हर तरफ पोलियो, चेचक, खसरा, रक्ताल्पता, तपेदिकरतौंधी, नेत्रहीनता, कुष्ठरोग और न जाने किस-किस तरह की बीमारियाँ फैली हुई थी ऐसे में वैश्विक स्तर पर उसका समाधान ढूँढने के लिये आज ही के दिन याने कि ०७ अप्रैल १९४८ को विश्व स्वास्थ्य संगठनका गठन किया गया और उसके दो वर्षों बाद ही ये निश्चित किया गया कि सारी दुनिया को इन जानलेवा बिमारियों के प्रति जागरूक करने के अलावा सेहत संबंधी जानकारी देने और स्वास्थ्य संबंधी नीतियाँ बनाने के लिये अब से सात अप्रैलको विश्व स्वास्थ्य दिवसमनाया जाये जिससे कि प्रतिवर्ष हर मुल्क में फैले हुये रोगों के बारे में विचार-विमर्श करने के साथ-साथ सभी मिलकर उसके विरुद्ध एकजुट होकर जंग भी लड़ सके ताकि उसे पूरी दुनिया से समाप्त किया जा सके । यही वजह हैं कि इनके प्रयासों के कारण अब बहुत-सी खतरनाक बीमारियाँ जो पहले लाइलाज़ थी जड़ से ही खत्म हो गयी लेकिन फिर उनके स्थान पर कुछ और नयी अधिक खतरनाक बीमारियाँ भी तो पैदा हो गयी ऐसे में जबकि ग्लोबलाइजेशनबढ़ा हैं समस्त जगत के बीच की भौगोलिक दूरियां भी सिमटने लगी जिसके कारण अब कहीं भी आना-जाना सुगम हुआ तो इसी के साथ कुछ समस्यायें भी उत्पन्न हुई और अब लोग इधर-उधर से अपने साथ विदेशी सामानों के साथ-साथ अनजाने में ही कुछ अन्य रोगों के वाहक भी आयात करने लगे और अब हम आये दिन कोई ऐसे बीमारी का नाम सुनते ही रहते जिसे पहले हम जानते भी नहीं थे । चूँकि अब जमाना हर मामले में बहुत आगे पहुँच चुका हैं ज्ञान-विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली पहले जहाँ किसी भी रोग को समझने या उसके विषय में खोज करने के लिये साधनों की कमी थी वहीँ अब एक ही पल में ही न सिर्फ़ उसके कारण बल्कि उसके समाधान को भी ढूंढ लिया जाता पर इसका मतलब ये कतई नहीं कि हम सब बेफ़िक्र होकर बैठ रह जाये हमारी भी कोई जिम्मेदारी हैं या नहीं कि हम अपने ही स्तर पर जो भी कर सकते हैं वो करें और अपने आस-पास के वातावरण को साफ-सुथरा रखें एवं लोगों को भी स्वच्छता के प्रति सचेत करें क्योंकि आधी समस्या तो सिर्फ माहौल की गंदगी को हटाकर हल की जा सकती हैं क्योंकि जब हमारे चारों तरफ़ ही सफ़ाई हो तो रोगाणु पनपेंगे ही नहीं, न लोग उनसे ग्रसित होकर दूसरों को भी संक्रमित करेंगे इस तरह रोग, रोगी और संक्रमण को काफी हद तक रोका जा सकता हैं ।

तकनीक ने जहाँ हम सबको इतनी सारी सुख-सुविधायें प्रदान की हैं वहीँ वो बड़ी ही चतुराई से हमें अपने जाल में फंसाकर बहुत कुछ अनमोल हमसे छीन भी तो रही हैं जिसकी खबर अक्सर हमको बड़ी देर से होती हैं दिनों-दिन आधुनिकतम गेजेट्सइज़ाद होते जा रहे हैं जो हमें चुटकियों में इतना कुछ दे देते कि उसकी चकाचौंध में हम अपनी सबसे कीमती सेहत को भी नज़रअंदाज़ कर उसे इस्तेमाल करने में इस तरह मशगूल हो जाते कि जान ही नहीं पाते कब जाने-अनजाने में किसी असाध्य रोग की चपेट में आ जाते शायद, आप सबने भी ये संदेश पढ़ा होगा---

खाना सामने रखकर भी खा न सके...

जोर से नींद आते हुये भी सो न सके...

बहुत से जरुरी कामों को अनदेखा करें...

व्यक्तिगत रूप से कमजोर होते चले जाये...

सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करना मजबूरी लगे... 

हमारे आपसे रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंचने लग जाये...

तो... बताये वो बीमारीकौन-सी हैं ??? 
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जवाब --- जनाब, यही जो हाथ में पकड़ी हुयी हैं ।

भले ही अभी हम इसे पढ़कर हंसते हो लेकिन यदि जरा-सा भी गौर से सोचेंगे तो जानकर हैरान रह जायेंगे कि ये कोई मज़ाक नहीं बल्कि एक बहुत ही भयावह सत्य हैं... जी हाँ... ये सभी यंत्र जो हमें हर तरह की सहूलियत देते हैं वही हमारी सेहत के रूप में हमसे बहुत बड़ी कीमत भी वसूल करते हैं जिसका पता हमें तब ही चलता जब वो हमें अपनी गिरफ़्त में ले चुके होते और तब उनसे बचने के लिये न जाने कितने उपाय करते और रुपया-समय सब बेहिसाब गंवाकर भी उसे दुबारा हासिल नहीं कर पाते अतः ये जरूरी हैं कि अब हम इनके प्रति भी थोड़े-से सतर्क बने क्योंकि ये सभी उपकरण फ़्रिज, कूलर, ए.सी., माइक्रोवेब, टेलीविजन, डिजिटल कैमरा, कंप्यूटर, मोबाइल, टैब, हीटर, गीजर आदि सभी हमें थोड़ा या ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं तो क्यों न हम सब इनसे भी न सिर्फ़ थोड़ी-सी दूरी बनाये बल्कि अपनी दिनचर्या को भी परिवर्तित करें जिससे कि इनके प्रभाव से होने वाले दुष्प्रभावों को कम कर सकें... ये हमारी आँखों की रौशनी, हाथों की उँगलियों के प्रसारण, जेहन की सोचने-समझने की शक्ति, पैरों की चपलता, शारीरिक चुस्ती-फुर्ती सभी को कम करते जाते हैं और फिर एक दिन हम असहाय से हो जाते तब न सिर्फ हमें इसने दूर रहने की सज़ा दी जाती बल्कि इलाज़ भी करवाना पड़ता ।

सोचे... सोचे... आखिर ये यंत्र हमसे चलते हैं... हम इनसे नहीं... तो फिर क्यों हम इनके लिये इस कदर पागल हो जाये कि अपने अंग-प्रत्यंग में होने वाले दर्द की अवहेलना करते रहें... और ये एक दिन हमें ही लील जाये तो क्यों न हम ही समझदार बन जाये... आज विश्व स्वास्थ्य दिवसपर यही होगा सबसे काम का संदेश... अपनाये सभी इसे और रहें निरोगी... :) :) :) !!!
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०७ अप्रैल २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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