सोमवार, 13 अगस्त 2018

सुर-२०१८-२१३ : #आया_सावन_का_तीसरा_सोमवार #कसकर_साधे_मन_वीणा_के_तार




‘सावन’ सुनते ही मन झुमने लगता और चहुँ तरफ हरियाली नजर आने लगती क्योंकि, ये मौसम ही इतना प्यारा जिसमें प्रकृति ही नहीं सर्वत्र नव सृजन होता जिसकी वजह से भीतर भी मन आल्हादित रहता तो उसी मन को नियंत्रित करने पूजा-उपासना का विधान बनाया गया कि तन-मन की लगाम स्वयं के हाथों में ही रहे न कि किसी लुभावने दृश्य को देखकर वो इस तरह बेलगाम हो कि आने वाले जीवन के लिये अभिशाप साबित हो जैसा कि आजकल अधिकतर दिखाई दे रहा है

आज के समय में युवा व किशोर एकल परिवार में बुजुर्गों की अनुपस्थित व उन्मुक्त वातावरण के कारण इस कदर मनमाने हो रहे कि हाथ में आये मोबाइल में दिखते चलचित्र उनको अपनी तरह से नियंत्रित कर रहे और फिर क्या वही होता जिसकी उम्मीद नहीं होती या जिससे वो खुद ही अनजान होते क्योंकि, आज के आधुनिक माहौल में उनको मन को नियंत्रित करना या ध्यान करना तो सिखाया नहीं जाता और न ही पूजन या मंत्र जाप के संस्कार ही दिये जाते तो ऐसे में उनके द्वारा दुष्कर्म या ऐसा ही कोई अपराध घटित होना जरा-भी आश्चर्यचकित नहीं करता है

जिसकी साफ़ वजह केवल अपनी इंद्रियों पर, अपना ही नियंत्रण नहीं होना हैं पर, लोगों का ध्यान तो ब्रांडेड सामान और अपने आपको स्मार्ट दर्शाने में लगा जो अंदरूनी रूप में एकदम खोखला होता इसलिये जरूरी कि घरों में कम हो रहे संस्कार पर ध्यान दे न कि कार के लेटेस्ट मॉडल खरीदने पर साथ ही उनको अपने आप से जुड़ना सिखाये भले ही कर्मकांड या आडम्बरों से बचाये यदि वे अपनी संवेदनाओं को बचा सके उन्हें सनी लियोने जैसे अश्लील चित्रों को देखकर न गंवाये तो निश्चित ही इस तरह की अनेक घटनाओं को रोका जा सकता क्योंकि, इनका संबंध आंतरिक सोच से ही होता जो इस तरह के विडियो या संदेशो से विकृत हो जाती है

उसे ही बचाने के लिये तो हमारे यहाँ समय-समय पर इस तरह के धार्मिक आयोजन किये जाते ताकि लोग अपने घरों की तरह अपने आपको भी रिनोवेट कर सके यही इस सावन के महीने और चातुर्मास का भी औचित्य जिसे अनदेखा करना या इसके गूढ़ रहस्य को न समझना व्यक्ति को कामुक बना सकता पर, यदि वो अपनी देह को साध ले तो मानव बन सकता तो सही मायनों में जमीन से जुड़े मात्र डाउन टू अर्थ न कहे... ॐ नमः शिवाय... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१३ अगस्त २०१८

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