मंगलवार, 7 अगस्त 2018

सुर-२०१८-२१७ :#पाठशाला_का_जन्मदिन_आया #पुरानी_मधुर_यादें_अपने_साथ_लाया




‘व्हाट्स एप्प’ की जब नई-नई शुरुआत हुई तब इसे केवल, चैटिंग या मैसेज भेजने का ही एक माध्यम समझा जाता था परंतु, इसे सकारात्मक तरीके से अपने साहित्यिक गतिविधियों को संचालित करने भी प्रयोग में लाया जा सकता ये थोड़ा देर में समझ में आया तो फिर शुरुआत हुई एक साहित्य मंच ‘छंदमुक्त पाठशाला’ की जिसे ७ अगस्त २०१४ को सागर के रहने वाले एक कवि ‘डॉ अखिल जैन’ ने बनाया और अपने चंद साहित्यकार मित्रों को जोड़कर इसका श्रीगणेश किया जिसमें धीरे-धीरे देश ही नहीं विदेश से भी बेहतरीन कलमकार जुड़े और इसने आंचलिक, राष्ट्रीय से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचने का कीर्तिमान स्थापित किया और दूर-दराज रहने वाले लोगों को एकसूत्र में इस तरह बाँधा कि कब वो समूह एक परिवार बन गया पता ही नहीं चला जिसमें रहने वाले एक-दूसरे से इस तरह आपस में जुड़े कि उन्होंने आभासी रिश्ते को हकीकत में बदल लिया

मित्रता का दायरा बढ़ा तो मुलाकातों का सिलसिला भी शुरू हुआ और किसी न किसी साहित्यिक कार्यक्रम या किसी पारिवारिक समारोह में मिलना-जुलना भी हुआ जिसने इस संबंध को प्रगाढ़ बना दिया जिससे कि परिवार के सदस्य की भांति सब मित्र एक-दूजे के सुख-दुःख में भी शरीक होने लगे जिसने ये साबित कर दिया कि दूरियां भौगोलिक कितनी भी हो यदि हृदय में नजदीकियां हैं तो फिर चाहे कितना भी लंबा फ़ासला क्यों न हो कम ही लगता तभी तो दिल्ली हो या गाज़ियाबाद या फिर सागर या सिरसा या गोरखपुर या इंडोनेशिया या अहमदाबाद सब करीब नजर आने लगे और इन शहरों की सडकें सीधे अपने दोस्तों के घरों तक जाने लगी फिर क्या सबने अपनी इस दोस्ती को बरकरार रखने का प्रयास किया जो आज भी जारी जबकि, इन चार बरसों में कुछ सदस्य बीच सफर में छूट भी गये तो कुछ को असमय ही दुनिया से अलविदा कहना पड़ा  लेकिन, उनके साथ बिताये वो लम्हें सब भी उनकी यादों को तरो-ताजा बनाये रखते है

इस समूह ने अपनी साहित्यिक यात्रा के दौरान कुछ उल्लेखनीय मुकाम भी हासिल किये जिसमें पहला था जब इसकी पहली सालगिरह आई तो ‘उत्कर्ष प्रकाशन’ से इसके सदस्यों की लिखी कविताओं का प्रथम साँझा काव्य संकलन ‘भावों की हाला’ प्रकशित हुआ जिसका शानदार विमोचन १४ सितंबर २०१५ को ‘हिंदी दिवस’ के शुभ अवसर पर हुआ इसके बाद अगली सालगिरह पर ‘स्टोरी मिरर’ द्वारा ‘शब्दों का प्याला’ दूसरा संग्रह आया जिसने इस समूह के कलमकारों को पाठकों के मध्य पहुँचाया इस तरह इसने आकाशीय सूक्ष्म तरंगों से निकलकर ठोस धरातल पर भी अपने लिये स्थान बनाया और ये साबित किया कि तकनीक को यदि सही तरीके से इस्तेमाल किया जाये तो वो वरदान बन जाती और ‘व्हाट्स एप्प’ जैसा ‘मेसेंजिंग पटल’ कलाकारों की कला को अँधेरे कोनों से उठाकर लाइम लाइट में लाने का जरिया भी बनता है... ‘छंदमुक्त पाठशाला’ की सफ़लता यूँ ही साल दर साल बढ़ती रहे आज उसकी चतुर्थ सालगिरह पर यही दिल से दुआ हैं... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०७ अगस्त २०१८

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