शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

सुर-२०१८-२१८ : #जो_अपने_इतिहास_से_नहीं_सीखते #शातिर_सत्ता_लोलुप_उनको_बार_बार_ठगते




विश्व में आबादी के मामले में हम दूसरे स्थान पर हैं जो भले ही बेरोजगारी व घटते संसाधनों की वजह से सुखद नहीं लेकिन, इस वक़्त देश में युवाओं का प्रतिशत सर्वाधिक जो किसी भी देश की संपदा माना जाता फिर भी हम विकास की रफ्तार ही नहीं पायदान में भी नीचे है क्योंकि, हमारा युवा वर्ग भटका हुआ हैं आज जो पीढ़ी उसमें उनकी संख्या अधिक जिन्होंने १९४७ के बाद जन्म लिया याने कि आज़ाद भारत में ऐसे में उनको न तो अपने इतिहास का ही सही ज्ञान न ही उनकी उसमें रूचि जिसकी वजह से जो भी उन्हें बता दिया जाता या सोशल मीडिया जैसे माध्यमों से जो भी आधा-अधूरा या गलत-सलत वे जान लेते उसे ही प्रमाणित समझ अपनी जानकारी पर इतराते फिरते है

जिसकी वजह से एक दिन ऐसा होगा कि जो झूठ आज प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा वो प्रिंट मीडिया या किताबों की अनदेखी की वजह से आने वाले समय का सच बन जायेगा क्योंकि, आने वाली जनरेशन तो किसी भी अवसर पर कोई भी इनफार्मेशन जानने के लिये इंटरनेट का ही सहारा लेगी बोले तो पूरी तरह से आश्रित होगी तब ये सारा कचरा उसको दिग्भ्रमित ही नहीं कुंठाग्रस्त बनायेगा । जिसका फायदा फिर कोई ‘रेडक्लिफ’ उठायेगा हमारे देश को बाँटकर हमको ही एक टुकड़ा पकड़ाकर एहसान जतायेगा इनमें तो इतना दम या हौंसला भी न होगा कि क्रांति कर सके उनको तो बस, मोबाइल पर मैसेज फारवर्ड करना ही आयेगा तो ऐसे में जरूरी कि भ्रामक जानकारियों को चिन्हित किया जाये और अपने बच्चों को सटीक जानकारी उपलब्ध कराने के साथ-साथ नेट पर भी अपलोड की जाये ।   

हमें अपने देश की न तो पहले कदर थी और न ही इतने जुल्मों-सितम सहने के बाद अब ही है हम तो पहले भी इसकी शक्तियों से अनजान थे और आज भी हैं तभी तो आपस में लड़ते ही नहीं हर मौके पर अपने ही देश को कोसते है जबकि, इसके निर्माण में हमारा कोई योगदान नहीं और जिनका है उनको इस तरह से संबोधित करते मानो हमने तो आज़ादी की लड़ाई में बड़ा खून बहाया है देश में आज जिस तरह का माहौल चल रहा वो आने वाले समय में हमारी स्वतंत्रता के लिये खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि, जिन्होंने हम पर शासन किया उन्होंने भले ही हमें गुलामी की जंजीरों से आज़ाद करने का फरमान सुना दिया हो लेकिन, उसके साथ ही बंटवारे व फूट डालने की अपनी नीति के चलते हमको सदियों तक आपस में लड़ाने का भरपूर इंतजाम भी किया है

१५ अगस्त १९४७, को हमें जो स्वतंत्रता मिली वो तश्तरी में परोसकर नहीं दी गयी उसे हमारे क्रांतिकारियों ने अपने त्याग-बलिदान से हासिल किया जिसे हम अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते जो गलत नहीं पर, उसे बरकरार रखने कितने सतर्क ये ज़ाहिर हो जाता जब हम अपन दूसरे देशों की तो तारीफ करते और अपने ही देश को बड़े गर्व के साथ बोले तो डंके की चोट पर रहने लायक नहीं बताते तब हमारा ये आरोप खंजर की तरह भारतमाता के हृदय को बुरी तरह से छलनी कर देता है । भारत माँ इस दंश को झेल चुकी तो उसे अहसास की किस तरह कभी तो उसके अपनों ने ही उसे धोखा देकर गैरों को यहाँ आने का रास्ता दिखाया तो कभी आपस में लड़कर दूसरों को खुद पर शासन करने का मौका दिया और फिर किस तरह से उसके सपूतों ने अपनी जान पर खेलकर उसे स्वतंत्र किया अब वो पुनः ये दर्द नहीं झेलना चाहती इसलिये तरह-तरह के संकेतों से आगाह करती कि एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने की जगह हम एक-दूजे की कमियों को ढांकना सीखे वरना, जो आग अंग्रेज लगाकर गये उसमें ही जलते हुये अपने देश को बार-बार विभाजन की त्रासदी देते रहेंगे जिसके आसार नजर आ रहे है ।    

आज ही के दिन एक विदेशी ‘सिरिल रेडक्लिफ़’ जिसे न तो हमारे देश का कोई ज्ञान और न ही हमारी संस्कृति या यहाँ के नक्शे के बारे में ही कुछ पता ने इसे इतने अनाड़ीपन के साथ बांटा कि उसकी वजह से बनी सरहदों के आर-पार रहने वाले आज भी उसे याद कर धार-धार रोते और एक दिन आयेगा जब वो कौम पूरी तरह से खत्म हो जायेगी जो इसकी चश्मदीद गवाह तब ये जवां हुई पीढ़ी को फिर कोई अपना निशान बना सकता है । इतिहास गवाह हैं कि जिसने अपने इतिहास को अनदेखा किया या उसके साथ छेड़छाड़ की वो आने वाले समय में किसी धूर्त के द्वारा बड़ी चालाकी से ठगा गया हैं क्योंकि, आक्रमणकारियों ने हमेशा ही इस बात का फायदा उठाया है जब भी उसने कोहिनूर की महत्ता से अनजान व्यक्ति के हाथ में उसे देखा तो धोखे से उसे हथियाने हर तिकड़म भिड़ाई है फिर वो ताक में है यदि हमने जरा-सी भी लापरवाही की तो अखंड भारत के खंडित खंडों में कई नये खंड बन सकते है ।
     
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१७ अगस्त २०१८

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