रविवार, 26 अगस्त 2018

सुर-२०१८-२३६ : #एक_रक्षासूत्र_उनके_भी_नाम #जिनसे_सुरक्षित_हमारी_जान





भारतीय संस्कृति में ‘रक्षासूत्र’ का विशेष महत्व हैं जिसे हर तरह के अनुष्ठान व धार्मिक आयोजन पर सुरक्षा दृष्टि के निमित्त बांधा जाता हैं कहने को तो ये महज़ कच्चे धागे की बनी डोरी होती लेकिन, आस्था के जिन धागों से इनका निर्माण होता उनकी वजह से इनकी मजबूती इतनी कि ये भारी-भरकम रिश्तों को आसानी से लंबे समय तक जोड़े रखती इसलिये किसी भी तरह के मंगलकारी कार्यों का श्रीगणेश इसके द्वारा ही किया जाता है

यूँ तो हम इसे कभी-भी किसी को बांध सकते लेकिन, रक्षाबंधन का पर्व तो ख़ास तौर से इसी उद्देश्य के लिये मनाया जाता जो कि कहने को तो भाई-बहिन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है मगर, इसके पीछे रक्षा की जो कामना जुड़ी वो हम किसी के प्रति भी रख सकते जिसे हम सुरक्षित रखना चाहते या जिसकी वजह से हम सुरक्षित रहते तो ऐसे में उसके प्रति अपने मनोभावों को प्रदर्शित करने के लिये हम इसे जरिया बना सकते हैं

हमारे अपनों के अलावा वो सभी शय जो हमारी रक्षा करती और जिनकी मौज़ूदगी के कारण हमारा जीवन सुरक्षित रहता हम चाहे तो आज के दिन उन सबको भी एक-एक रक्षासूत्र बांधकर इस पर्व को अधिक सार्थक बना सकते है जिनमें पेड़-पौधे सबसे पहले नंबर पर आते हैं क्योंकि, ये वो जिनके होने से हम है और आज इनका जीवन ही संकट में है तो समझो हम ही असुरक्षित तो फिर क्यों न हम इस तरह से एक-दूसरे को सुरक्षित करे ।

‘रक्षाबंधन’ का त्यौहार सिर्फ़ भाई-बहिन ही नहीं उस हर रिश्ते, उस हर शय के नाम जिनके होने से कायम हमारी जान... इसके के साथ सबको इस दिन की शुभकामनायें... मनाये इसे मिलकर सबके साथ... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२६ अगस्त २०१८


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