रविवार, 5 अगस्त 2018

सुर-२०१८-२१५ : #दोस्ती_एक_ऐसा_अहसास #चलता_जब_तक_चलती_साँस




हो गयी थी
इक दिन मुलाकात यूँ ही
अचानक अनजान से राह चलते
मगर, जब बने दोस्त तो
अजनबियत कब
जिंदगी भर की पहचान बन गई
अहसास ही नहीं हुआ

दो अनजान मिल जाते कभी किसी मोड़ पर तो कभी पडोस में या कभी स्कूल या कॉलेज में तो कभी राह चलते या ट्रेन में तो कभी ऑफिस में या कभी किसी पार्टी में और कभी-कभी तो पहली मुलाकात लड़ाई से होती पर, जब एक बार दोनों के बीच दोस्ती की गाँठ बंधती तो फिर समय के साथ वो धीरे-धीरे इतनी मजबूत हो जाती कि उसे तोड़ना नामुमकिन हो जाता बस, इसमें कोई मनमुटाव की गिरह न लगे यूँ तो दोस्त आपसी मतभेद को खुद ही सुलझा लेता पर, कभी यूँ भी होता कि कोई गठान ऐसी लगती कि मनभेद हो जाता ऐसे में यदि हमें ये अहसास हो कि वो दोस्त हमारे लिये बेहद अजीज तो फिर देर किस बात की ऐसे अवसरों का तो लाभ उठाना चाहिये और उसका हाथ अपने हाथों में लेकर बेहिचक उसे बताना चाहिये कि...  

उन हाथों का हाथ में होना
दिलाता अहसास संपूर्णता का
मुस्कुरा उठता मन का कोना-कोना
उमर कोई हो दोस्त संग हो तो
लगता जैसे आ गया लौटकर बचपन
इस दोस्ती को न चाहे दिल कभी खोना

‘दोस्ती’ रब की नेमत होती जो कहने को तो यूँ ही कभी भी कहीं भी हो जाती पर, इसे निभाना आजीवन बरकरार रखना परस्पर व्यवहार पर ही निर्भर करता जिसके लिये ये बहुत अच्छी बात कि इस नाते में कोई औपचारिकता नहीं होती जिस तरह कि अन्य रिश्तों में होती है इसलिये इसे ताउम्र निभाना मुश्किल नहीं होता और इसे किसी परिभाषा में बांधना आसान नहीं होता क्योंकि, रूहानी अहसास को शब्दों में अभिव्यक्त कर पाने शब्दकोश भी कम पड़ जाता आखिर, उसमें तो वही अल्फाज़ मिलेंगे जो इस दुनिया के इंसानों ने उसमें भर दिये पर, जो आत्मा महसूस करती उस आत्मिक अहसास को ज़ाहिर करने में ये सक्षम नहीं होते वो तो दिल ही समझता हैं...

‘मित्रता’
मुश्किल बांध पाना
शब्दों में इसको
कि वो अल्फाज़ ही नहीं
शब्दकोश में किसी
जो कि महसूस कर सके उसे
महसूसती आत्मा जिसे

चूँकि, ये रिश्ता आत्मा से जुड़ा होता इसलिये न केवल अंतिम साँस तक दोस्तों को आपस में जोड़े रखता बल्कि, जिस्म मरने के बाद भी चलता रहता और फिर कभी किसी जनम में मिल जाते बिछड़े यार और पहचान लेते एक-दूसरे को आखिर, दोस्ती का नाम जिंदगी और जिंदगी का नाम दोस्ती ऐसे ही तो नहीं कहते... सबको इस दिवस की शुभकामनायें... हर रोज इसे खूब मनाये... ☺ ☺ ☺ !!!

_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०५ अगस्त २०१८

कोई टिप्पणी नहीं: