गुरुवार, 9 अगस्त 2018

सुर-२०१८-२१९ : #करो_या_मरो #अंतिम_साँस_तक_लड़ो




९ अगस्त १९४२, देश के इतिहास की एक ऐतिहासिक तिथि जिस दिन भारतवासियों ने ये निर्णय ले लिया कि गुलामी की जंजीरों को तोड़ना ही हैं और जुल्म को अब नहीं सहना हैं क्योंकि, ये परतंत्रता यदि हमारे जींस में बस गयी तो फिर आने वाली पीढियां इसकी अभ्यस्त हो जायेगी वैसे भी देश लगातार अलग-अलग शत्रुओं का सामना करता ही आ रहा हैं कभी कोई तो कभी कोई भटकते हुये या साज़िश के तहत ‘भारत’ आ जाता फिर जब यहाँ की प्रकृति व अकूत संपदा को देखता तो यही रह जाता और शासन करने लगता है

आखिर, कब तक कोई इस तरह की दहशत में जी सकता कभी न कभी तो वो सर उठाता तब उसे अहसास होता कि नाहक ही डर रहे थे पहले ही यदि ये कदम बढ़ा दिया होता जीत मिल जाती जो डर के पीछे छिपी हुई थी यही हुआ जब भारतीयों ने अपना अंतिम फैसला लिया तो फिरंगी सरकार को समझ में आ गया कि वो अब ज्यादा दिन तक देशवासियों को अपने कब्जे में नहीं रख पाएंगे

वही हुआ १९४२ में शुरू हुआ स्वतंत्रता संग्राम का अंतिम अभियान १५ अगस्त १९४७ को अपने लक्ष्य को पा ही गया और ये साबित हुआ कि जीवन में जब ‘करो या मरो’ के सिद्धांत पर अमल किया जाता तो विजय अवश्य हासिल होती यही तो ‘गीता’ में भी ‘भगवान् श्रीकृष्ण’ ने ‘अर्जुन’ से कहा है अपने हक़ के लिये युद्ध कर के स्वाभिमान के साथ मरो या फिर इसे जीतकर शान से जियो दोनों ही स्थितियों में विजयश्री तुम्हारा वरण करेगी

जिसने ये समझ लिया वो जिये या मरे पर, कभी भी हारता नहीं उसका नाम हमेशा विजेताओं की सूची में ही होगा तभी तो जिन बलिदानियों ने इस क्रांति में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया मृत्यु को प्राप्त होकर भी अमर हैं और आने वाली सदियों तक उनके शौर्य का बखान किया जायेगा यदि हमने इसी तरह महत्वपूर्ण तिथियों पर उनके योगदान को याद किया तो अन्यथा फिर कोई हमें अपने जाल में कैद कर लेगा तब सोशल मीडिया पर संदेस या विडिओ वायरल करने से आज़ादी नहीं मिलेगी लड़ना पड़ेगा उसी जज्बे व जोश को मन जगाने फिर अगस्त क्रांति आई सबको बधाई... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०९ अगस्त २०१८

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