गुरुवार, 31 जनवरी 2019

सुर-२०१९-३१ : #हम_जरा_से_नकारात्मक_क्या_हुये #कई_चेहरों_के_नकाब_अनायास_उतर_गये




'तुष्टिकरण' ये शब्द अपने आप में कितना घातक इसका अनुभव कल बहुत अच्छे से हो गया इस एक शब्द के वास्तविक मायने को समझाने कल शहीद दिवस पर 'महात्मा गांधी' के संदर्भ में कुछ तथ्यों के आधार पर एक पोस्ट क्या लिख दी समस्त गांधी भक्त अपनी असलियत पर उतर आये वे गांधीजी जो विनम्रता पूर्वक अंग्रेजों के सामने तक अपनी बात रखते थे उनके समर्थन में उतरे उनके तथाकथित भक्त कल सारी मर्यादाएं-नैतिकता ताक पर रखकर अभद्रता के हर स्तर को टिप्पणी दर टिप्पणी पार करते गये यहां तक कि पोस्ट से जी न भरा तो इनबॉक्स तक अपनी गांधीगिरी दिखाने आ गये तब यकीन हो गया ये केवल ऊपरी तौर पर कहने को गांधी समर्थक है मगर, अंदर से वही जैसे इनबॉक्स में नजर आ रहे तब लगा कि क्या वाकई ये गाँधीजी को समझते है क्योंकि, जिसने गांधीजी को एक बार भी अंतर से समझ लिया उसके भीतर समस्त द्वेष खत्म हो जायेगा मन में किसी तरह का विकार शेष न रह जायेगा और कोई विरोध भी होगा किसी से तो शालीनता से अपनी बात रखेगा न कि गाली-गलौच का सहारा लेगा पर, इनका उद्देश्य तो सामने वाले को भड़काकर उससे झगड़ा मोल लेना है ।

गाँधीजी भी यदि इसी नीति से चलते तो उस लक्ष्य को हासिल न कर पाते और हमने कल जो भी लिखा उसका एकमात्र उद्देश्य केवल उस एक पक्ष को सामने रखना था जिसे उनकी मृत्यु का आधार समझा जाता न कि गोडसे को सही ठहराना या गाँधीजी या किसी मजहब विशेष के खिलाफ लिखना जैसा कि इनके द्वारा प्रचारित किया गया चूंकि हमारा लेखन अपने देश के शहीदों, क्रांतिकारियों, महापुरुषों, वीरों, साहित्यकारों और किसी भी क्षेत्र विशेष में देश का नाम रोशन करने वालों को समर्पित रहता तथा सदैव केवल सकारात्मकता को ही सामने रखने का प्रयास रहता है अतः किसी भी चरित्र के उजले पक्ष को ही उकेरते है जब से फेसबुक पर लिख रहे पिछले पांच सालों में गाँधीजी की जयंती व पुण्यतिथि पर लगभग 10 से अधिक पोस्ट्स लिख चुके जिन पर उनके जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर अपना नजरिया रखा पर, लोग सकारात्मकता नहीं नकारात्मकता पर ही अपनी राय रखते इस बात की भी कल पुष्टि हो गयी ।

कल एक बेहद चौंकाने वाला अनुभव भी हुआ जिसके बारे में सुनते तो बहुत थे पर, कभी अवसर न आया ऐसे में आश्चर्य अधिक न हुआ वरन, अफ़सोस हुआ कि जिन्हें हम बुद्धिजीवी समझकर अपना मित्र बनाते दरअसल वे तो किसी के हाथों की कठपुतली है और यहाँ गैंग बनाकर उनको रोबोट्स की तरह निर्देशित किया जाता है । वाकई, आप सबको विश्वास नहीं होगा कि यहाँ बाहर से सभ्य नजर आने वाले असलियत में इतने असभ्य है कि वे अपनी बात के विरुद्ध कुछ भी बर्दाश्त नहीं करते और जब बात सीधे तरीके से नहीं जमती दिखती तो दबाब तक बनाते और आपके खिलाफ पोस्ट लिखकर आपसे जुड़े मित्रों को अमित्र करने की खुलेआम धमकी देते याने कि यहाँ भी दादागिरी चलती है । ऐसे में जब कुछ लोग अलग हुये तो तनिक भी फर्क नहीं पड़ा क्योंकि, ऐसे लोगों को दोस्त बनाकर करना भी क्या जिनके दिमाग किसी दूसरे के पास गिरवी रखे हो, जिनको अपने निर्णय लेने या अपने दोस्त चुनने तक की आज़ादी न हो और जो दूसरे के आदेश पर चलते हो जिनकी रीढ़ की हड्डी ही गायब हो ।

कल ये भी सिद्ध हो गया कि ईश्वर जो भी करता अच्छे के लिये ही करता कल न जाने कैसे एकाएक ही कुछ पढ़ते, कुछ सुनते तुष्टिकरण को गांधीजी के संदर्भ में प्रयोग करने की प्रेरणा प्राप्त हुई और बस, गाँधी भक्तों के मुखौटे उतर गये एक ने भी पोस्ट को पूरा पढ़ा हो या समझा हो संदेह है क्योंकि, किसी ने भी उसमें लिखी बात को गलत साबित करने कोई तथ्य या जानकारी नहीं दी बस, एक-दूसरे की देखा-देखी कमेंट्स करते रहे । सबसे बड़ी बात कि जो सालों से मित्र होते हुये भी कभी पोस्ट पर नहीं आये कल अपने मालिक से आदेश पारित होते ही एक-एक कर के आते गये और जो दिया गया था उसे पेस्ट करके जाते गये किसी ने भी अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया करता भी कैसे वो तो गिरवी रखा हुआ है । ऐसे में बहुत जरूरी कि हम जब भी किसी की पोस्ट पर कमेन्ट करें तो उसे पढ़े जरुर और उसके लिखे पर बात करे न कि उसे चरित्र प्रमाण पत्र बांटने लग जाये जबकि, आप उसे जानते तक नहीं हो और हर किसी को अपनी तरह भक्त, गुलाम या चमचा न समझे क्योंकि, सब आपकी तरह किसी के कहने मात्र से नहीं चलते । अपने मन में जो आये वो लिखे न कि जो आपसे कहा जाये वो, साथ ही किसी मदारी के जम्बुरे की तरह हुकुम का पालन न करें बल्कि, अपने स्वतंत्र अस्तित्व होना का प्रमाण दे कल की कार्यवाही देखकर तो निराशा हुई कि जिन्हें हम आज तक अच्छा लेखक समझते थे, जिन्हें खुद आगे बढ़कर अपना मित्र चुना था वे तो किसी के चिराग के जिन्न निकले जो उसके इशारे पर क्या हुक्म मेरे आका कहते है ।
            
(विगत ५ वर्षों में लिखी गाँधी सम्बन्धी पोस्ट कमेन्ट बॉक्स में है जो साबित करती कि हम गाँधी विरोधी नहीं है केवल अलग-अलग पहलुओं पर लिखने की कोशिश करते है)

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जनवरी ३१, २०१९

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