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मित्रों...,
जहाज ने सुदूर क्लांत उदास पक्षी को देखा तो बोला---
ऐ प्रिय खग...
यदि तुमने सब कुछ देख लिया हो ।
तुम्हारी उड़ने की लालसा खत्म हो गयी हो ।
तुमने अपनी आज़ादी से वो पा लिया हो जिसकी वजह से मुझे छोड़ा
था ।
और... तुमको ये अहसास हो गया हो कि तुम्हारा निर्णय गलत था
तो मेरे प्रियतम तुम वापस आ जाओ तुम्हारा ये जहाज अब तलक तुम्हारी बाट जोह रहा हैं
।
उसी रात ‘सुधा’ ने देखा कि तीन साल पूर्व अपने अंधे लक्ष्य की
खातिर उसके वर्षों पुराने प्रेम को ठुकराकर जाने वाला ‘चंदर’ अपने घर वापस आ गया
हैं ।
उसने बस इतना ही कहा, अचानक... तुमने कैसे जाना कि मैं तुम्हें याद कर
रही हूँ... पुकार रही हूँ ?
चंदर बोला, इन हवाओं ने आकर कानों में बताया ।
और... दोनों उसी तरह खिलखिलाये जैसे बरसों पहले प्रेम का
इज़हार कर मासूमियत से एक दूजे का हाथ थामकर कभी हंसे थे ।
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१३ मई २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह “इन्दुश्री’
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