शनिवार, 30 मई 2015

सुर-१५० : "हिंदी पत्रकारिता दिवस...!!!"

कभी
‘अख़बार’ ही
लाता था खबरें
देश-दुनिया की सभी
जिसे पढ़ने के लिये सब
करते थे बेसब्री से इंतजार
उसकी याद दिलाने ही
सब मिलकर मनाते
‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’
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मित्रों...,

आज भले ही लोग आँख खोलते ही आस-पास अपने ‘मोबाइल’ या ‘टेबलेट’ को टटोलते हो लेकिन एक समय था जब लोगों की सुबह अखबार पढ़ने के साथ ही होती थी और जिस दिन वो न आये समझो सारा दिन उनका मूड ख़राब रहता जिसका खामियाज़ा उनसे मिलने वाले हर किसी को भुगतना पड़ता था ये होती थी उस दौर में ‘समाचार-पत्र’ को पढ़ने की ललक जिसका अंदाज़ा आज लगा पाना मुमकिन नहीं क्योंकि आज तकनीक ने हर किसी को अपनी गिरफ़्त में इस कदर जकड़ लिया कि उसके लिये ये समझ पाना आसान नहीं कि किस तरह लोग ‘न्यूज़ पेपर’ या किताबों का इंतजार करते थे और उसे पाकर उसमें ही खो जाते थे क्योंकि अब तो सब कुछ एक क्लिक पर हाज़िर पर, न तो वो आनंद ही रहा... न ही वो कशिश जो उन्हें उसके लिये लालयित करती थी ‘लैपटॉप’ या अपने ‘मोबाइल’ की स्क्रीन पर किसी भी खबर को सबसे पहले पाने के बाद भी पाठकों को उसके प्रति वो दीवानगी नहीं होती जो उसके प्रारंभिक काल से लेकर पिछले पांच-दस पहले तक लोगों में थी जिनके सामने उतने विकल्प भी तो नहीं थे तो सब तरह की खबरों को जानने के लिये यही लोगों का एकमात्र सहारा था फिर धीरे-धीरे ‘दूरदर्शन’ आया तो लोगों ने पढ़ने के साथ-साथ खबरों का जीवंत प्रसारण देखना भी शुरू कर दिया और अब सभी दर्शकों को उसमें दिखाये जाने वाले समाचारों का इंतजार रहता और वे आज भी उन समाचार वाचकों तक को नहीं भूले जिन्होंने पहले-पहल उनको अपने मुख से देश-विदेश की खबरें सुनायी थी और ‘दूरदर्शन’ का वो सुनहरा दौर था जिसमें आने वाले कार्यक्रमों को देखने वाले आज भी उतनी ही शिद्दत से याद करते जबकि आज तो पल-पल तड़का लगाकर सभी चैनल्स के बीच ग्लैमर के साथ ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ दिखाने की हौड लगी रहती हैं तब भी किसी को उनमें कोई रूचि नहीं होती क्योंकि सब जानते कि आजकल तो ‘न्यूज़’ न भी हो तो बना ली जाती

अब तो मीडिया ने बहुत तरक्की कर ली जिसकी वजह से खबरें ‘कलम’ से ‘कीबोर्ड’ और ‘पेपर’ से ‘स्क्रीन’ तक आ गयी लेकिन बनावटीपन ने उसके प्रति मन में संदिग्धता भी पैदा कर दी हैं जिसके कारण उन पर विश्वास सहज ही नहीं होता हैं लेकिन हम तो बात कर रहे हैं उस जमाने की जब हिंदी पत्रकारिता ने इस देश में जनम ही लिया था... हाँ आज ही के दिन ३० मई १८२६ को ‘पंडित युगुल किशोर शुक्ल’ ने अपने देश का सबसे पहला ‘हिन्दी समाचार पत्र’ निकाला जिसका नाम उन्होंने 'उदन्त मार्तण्ड' रखा इस तरह उन्होंने भारत में ‘राजा राम मोहन रॉय’ द्वारा प्रारंभ की गयी ‘हिंदी पत्रकारिता’ का शानदार विस्तार किया क्योंकि ये माना जाता हैं कि ‘हिन्दी पत्रकारिता’ की शुरुआत ‘बंगाल’ से हुई जिसका श्रेय ‘राजा राममोहन राय’ को दिया जाता है जिन्होंने समाज के कल्याण और जागरूकता के साथ-साथ देश में फैली कुरीतियों एवं अंधविश्वासों को दूर करने इसका सहारा लिया था और साल १८१६ ‘बंगाल गजट का प्रकाशन किया जिसे कि ‘भारतीय भाषा’ के पहले समाचार पत्र होने का गौरव प्राप्त  है जबकि ‘कलकत्ता’ से ‘पंडित जुगल किशोर शुक्ल’ के संपादन में निकलने वाले उदंत्त मार्तण्डको हिंदी का पहला समाचार पत्र माना जाता है।

इस तरह इस देश में ‘पत्रकारिता’ का आगाज़ हुआ जिसने धीरे-धीरे एक बड़े भारी व्यवसाय का रूप इख़्तियार कर लिया और आज तो पूरी दुनिया में उसका अपना जलवा हैं जिसके कारण लोग उसकी विश्वसनीयता पर संदेह होने पर सब कुछ जानते-बुझते भी ‘न्यूज़ चैनल्स’ को ही देखना पसंद करते जो कि अपनी कमाई के कारण विज्ञापन चैनल अधिक नज़र आते हैं पर, कभी दूरदर्शन पर ‘हिंदी’ और ‘अंग्रेजी’ में प्रसारित होने वाले समाचारों के लिये दर्शकों में जो रुझान होता था उसका मुकाबला ये सारे चैनल्स मिलकर भी नहीं कर सकते हैं । फिर भी सारे विश्व को एक सूत्र में बांधने का काम जिस तरह से ये खबरें करती हैं और कोई नहीं कर सकता यदि इनका सही तरह से प्रसारण किया जाए तो इनके माध्यम से बड़ी ही तीव्र गति से कोई खबर एक साथ संपूर्ण विश्व में प्रसारित कर दी जाती तभी तो किसी भी देश में आपदा या खतरा आने पर हर कोई उसके साथ खड़ा नज़र आता जो ये बताता कि ये कितना शक्तिशाली माध्यम हैं जो अदृश्य तरंगों से हम सबको ‘एक’ साथ जोड़कर रखता हैं ऐसे में तो हमें और भी ज्यादा इसकी महत्ता को समझने की जरूरत हैं क्योंकि इसने ही तो हमें एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया हैं अपनी बात कहने का सुअवसर प्रदान किया हैं तो हम इस दिन को किस तरह विस्मृत कर सकते हैं ।

आज हम उन सभी कलमकारों को मन से नमन करते हैं जिन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ बिना किसी भय या दबाब के ‘सच्चाई’ को हमारे सामने लाकर रखा जिसकी वजह से कई लोगों को तो अपनी जान से तक हाथ धोना पड़ा पर वे घबराये नहीं और अपने फर्ज को निभाना अपनी प्रथम जिम्मेदारी समझा... हम सब उनके ऋणी हैं जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर भी हमें उन खबरों से रूबरू कराया जिससे हमें अपने ऐतिहासिक गौरवशाली अतीत के साक्ष्य मिलते हैं... आज ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ पर सभी पत्रकार बंधु-भगिनी को हार्दिक शुभकामनायें... :) :) :) !!!      
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३० मई २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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