सोमवार, 4 मई 2015

सुर-१२४ : "“सत्य की खोज... देती नूतन ज्ञान रोज...!!!"


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मित्रों...,

‘राजकुमार सिद्धार्थ’ के ‘तथागत’ बनने तक की जीवन यात्रा और उसमें छूपे दर्शन से हम सभी भलीभांति परिचित हैं तो आज ‘बुद्ध पूर्णिमा’ के पावन अवसर पर उसी गाथा को उन्हीं के अनुभव से निकले शब्दों में पिरोकर 'काव्यांजलि' प्रस्तुत कर रही हूँ...

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जब तक 
भटक रहा था
अंतरिक्ष के शून्य में
इक सूक्ष्म अणु की तरह अशरीरी
तो मैं समझता था कि जीवन यही हैं I
.....
फिर आया
जब माँ के गर्भ में
धारण किया एक शरीर
बन गया आत्मा से एक देह
तो समझने लगा कि जीवन यही हैं I
....
जब जन्मा
एक शिशु की भांति
करने लगा अठखेलियाँ
देखी बाहर की नई-नई दुनिया
तो लगने लगा मुझे कि जीवन यही हैं I
.....
धीरे-धीरे
बढ़ने लगा मैं
खेलने लगा नित नये खेल
परिचित हुआ कई वस्तुओं से
तो सोचने लगा कि जीवन यही हैं
.....
...
मगर,
किसी ने
मेरे पिता से
कर दी थी एक
अटल भविष्यवाणी
कि आने वाला शिशु बनेगा सन्यासी I
.....
जिसे सुनकर
मेरे राजपिता ‘शुद्धोधन’
घबरा करने लगे अनेक जतन
कि रोक सके वो किसी तरह होनी को
मगर, कौन इस जहां में जो इसे कर पाया I
.....
छूपाते रहे
एक लम्बे समय तक
वो मुझसे दुनिया की सच्चाई
जीवन की सभी कड़वी हकीकत
पर, मेरा प्रारब्ध रच रहा था कुछ और I
...
.....
एक दिवस
बंधन हुए कुछ शिथिल
निकल पड़ा मैं घुमने नगर
दिखाई दिया मुझे एक अद्भुत संसार
तो समझ आया मुझे कि जीवन यही हैं I
.....
जब दिखा
राजमार्ग में मुझे
एक रोगी, एक योगी
एक वृद्ध और एक मृतक
तब हुआ आभास कि जीवन यही हैं I
.....
बस, वो रात
छोड़कर राजमहल
अपनी अर्धांगिनी और शिशु
निकल पड़ा एकाकी सत्य की तलाश में
तब जाना मैने कि सार्थक जीवन तो यही हैं
.....
ले ली समाधी
एक बोधि वृक्ष तले
बीत गये दिन पर दिन अनेक
कि एक दिन हो गई कुंडलिनी जागृत
तो जाना कि सब कुछ भरम जीवन तो यही हैं I
.....
राजकुमार सिद्धार्थ,
एकाएक बन गया ‘तथागत’
बना दिया एक नूतन ‘बौद्ध धर्म’
और पूर्ण कर जीवन लक्ष्य
चल पड़ा वापस शून्य की और
इस तरह जाना लिया उसने कि  
वास्तविक जीवन कुछ भी और नहीं यही हैं ।
.....
पूर्ण हुई तलाश
मिल लिया गहरा भेद
जो दे गया अद्भुत दर्शन कि  
‘शून्य से शून्य में मिल जाना’
फिर ना लौटकर आना
जिसने भी जाना इसे...
वो मुक्त हो गया
और... जो ना समझे अब तक  
उनके लिये भले कुछ भी हो मायने
लेकिन, वो जीवन तो कतई नहीं हैं...!!!
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इस उम्मीद के साथ कि आप सभी इसे पसंद करेंगे... सभी को ‘गौतम बुद्ध’ के अवतरण दिवस की अनंत शुभकामनायें.... :) :) :) !!!
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०४ मई २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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