शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

सुर-२४४ : "मिले जब गुरु... हुआ ज्ञान शुरू....!!!"

होता न ज्ञान
जो मिलते गुरु महान
पाकर जिनको
बने ‘ज्ञानवान’ हम
तो कहे आदर से सब  
तस्मे श्री गुरुवे नमः
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मित्रों...,

एक बच्चे के सीखने की शुरुआत उसके आँख खोलते ही हो जाती हैं और इस काम में उसकी सहायिका होती हैं उसकी जन्मदात्री जिसे वो सबसे पहले देखता हैं और जिसके साथ रहकर ही वो जीवन के मायने समझता हैं और फिर इस दुनिया के कर्मक्षेत्र में आजीवन कुछ न कुछ सीखता रहता हैं और जीवन की ये पाठशाला कभी भी बंद नहीं होती जहाँ उसकी शिक्षा अंत समय तक चलती रहती और इस पूरे सफर में उसे ज्ञान के मार्ग पर नित नये-नये शिक्षक मिलते जो जाने-अनजाने उसे गूढ़ ज्ञान देकर उसके अनुभवों के भंडार में वृद्धि कर उसके ज्ञानकोष को भरते रहते जिससे वो  ज्ञानवान बन अपने संपर्क में आने वाले लोगों को भी उस पारसमणि सम ज्ञान से कुंदन बनाता तो ‘शिक्षक दिवस’ पर हम सबका फर्ज़ बनता कि हम उन सभी का आभार व्यक्त करें जिन्होंने हमें कभी भी किसी भी राह पर कोई सबक दिया जिससे हम लाभान्वित हुये तो हमारे देश के द्वितीय राष्ट्रपति और कर्मयोगी ‘डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन’ के जन्मदिवस जिसे कि पूरा राष्ट्र ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाता हैं उस मंगलमय दिन पर हमारी प्रथम शिक्षिका माँ से लेकर जीवन में आने वाले सभी गुरुजनों को ‘चोकामय’ शुभकामनायें---

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प्रथम गुरु
हर एक बच्चे की
‘माँ’ बन जाती
देती वो ज्ञानदान
पढ़ाती उन्हें
नैतिकता का पाठ
जीवन सार
पाया जो बाँट देती
भेजती उसे
विद्याध्यन करने
पाकर ‘गुरु’
जीवन संवरता
नित नूतन
अनमोल सबक
देता शिक्षक
कुम्हार-सा गढ़ता
बना उसको
पत्थर से नगीना
खुला आकाश
ठोस आधारशिला
जीवन ध्येय
सौगात में सौंपता
ज्ञान आलोक
हर एक पथ पे
हर क्षण में
उसे राह दिखाता
बन के सूर्य
जब वो चमकता
गुरु का सीना
ख़ुशी से फुल जाता
परोपकार
विद्यादान देकर
गुरु का ऋण
एक शिष्य चुकाता       
अपने साथ
औरों का भी जीवन
वो बना देता
करता हैं नमन
शिष्य गुरु को
देकर अनमोल
गुरु-दक्षिणा
रह जाते अज्ञानी
होते न गुरुज्ञानी !!!
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इस बार ५ सितंबर को अद्भुत संयोग हो रहा जब भगवान् कृष्ण के अवतरण दिवस पर ‘राधकृष्ण’ का भी जन्मदिवस आ रहा हैं तो सभी मित्रजनों को इस पावन पर्व की अनंत शुभकामनयें...  आओ घर-घर ज्ञान का दीप जलाये... इस तरह गुरु का पर्व मनाये... :) :) :) !!! 
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०४ सितंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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