शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

सुर-२५४ : "दिल में बसे... विनोभा भावे...!!!"


‘कर्मपथ’
एकमात्र ध्येय
‘देशप्रेम’
आत्म बलिदान
‘मातृभूमि’
सदा पूजनीय
‘मानव सेवा’
जीवन का लक्ष्य
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मित्रों...,

भारत देश की पावन भूमि पर जन्मने वाले कम ही महान लोग ऐसे हुये हैं जिन्होंने इस माटी का कर्ज चुकाना अपना फर्ज़ समझा और इस दुनिया से अलविदा कहने से पहले कुछ ऐसा कर के गये कि हम आज तक उन्हें भूल नहीं पाये... इसलिये जब-जब भी किसी ऐसी शख्शियत से जुड़ा कोई विशेष दिन आता हैं तो स्वतः ही हम उनका स्मरण कर उनके प्रति अपने मनोभाव को प्रदर्शित कर उन्हें श्रद्धांजली अर्पित करते हैं... हमारे देश के वीर सपूतों ने तो गुलामी की जंजीरों में जकड़े होने पर भी अपने हौसलों को कम नहीं होने दिया और उन सबके सामूहिक प्रयसों का नतीजा हैं कि आज हम आज़ादी की सांस ले पा रहे हैं... जब हम इन महान लोगों का जीवन चरित पढ़े तो पाते हैं कि किस प्रकार उन सबने विपरीत परिस्थितियों में भी अटल रहकर अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त किया... ऐसे ही एक कर्मयोगी ‘विनोबा भावे’ की जयंती पर उनको ‘चोका’ युक्त शब्दांजली… :) :) :) !!!

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११ सितंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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