गुरुवार, 17 सितंबर 2015

सुर-२५९ : "आये घर में गणेश... दूर करेंगे क्लेश...!!!"


आगमन ‘गणेश’ का
जैसे आना शुभ संदेश का
देखो प्रकृति भी हर्षाई
सब देते एक-दूजे को बधाई
पूरी हो आशायें सबकी
जागी यही आस हर मन की 
करो स्वीकार पूजा हमारी
करते रात-दिन सेवा तुम्हारी  
करना क्षमा भूल हो जाये
पर, न हमको मन से भुलाये
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मित्रों...,

प्रथम पूज्य बुद्धि प्रदाता जगत-जननी और जगतपिता के पुत्र भगवान् ‘गणेश’ हर किसी के प्रिय हैं इसलिये हर कोई पूरे साल इस दिन का इंतजार करता हैं जब वो पूरे दस दिवस के लिये उसके घर मेहमान बनकर आते हैं तब सभी हर तरह से उनकी पूरे मनोयोग से सेवा कर अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु तरह-तरह के जतन करते हैं और बडे ही लगन से खुबसूरत व आकर्षक झांकी सजाकर उनकी मूरत अपने घर विराजमान करते हैं और फिर शुरू होता हैं हर सुबह एवं शाम हर घर में उनका आतिथ्य संस्कार जो कि बड़ा ही सहज-सरल होता हैं जिसमें न तो किसी को अधिक आडंबर करने की आवश्यकता होती हैं और न ही तरह-तरह की पूजन सामग्री की ही जरूरत होती हैं क्योंकि वो तो केवल प्रेम और श्रद्धा के भूखे होते हैं जो केवल ‘दूब’ के प्रसाद और ‘मोदक’ के चढ़ावे से ही प्रसन्न हो जाते हैं तभी तो हर कोई उनको अपने यहाँ खुद अपने हाथों में उनकी मूर्ति को लेकर आता हैं और उतनी ही भक्ति से उनकी सेवा में जुट जाता हैं उनके पूजा में सिर्फ़ बड़ी वय के श्रद्धालु या उपासक ही नहीं होते बल्कि छोटे-छोटे बालक-बालिकायें बडे उत्साह से जुटते हैं और दस दिन तक हर सुबह जल्दी से उठकर उनको भोग लगा जोर-जोर से आरती गा अपने मनोभावों का प्रदर्शन करते हैं और ये घर में ही नहीं घर के बाहर अपने मोहल्ले में भी उनकी प्रतिमा स्थापित कर पंडाल सजाते हैं जो ये दर्शाता हैं कि ‘गजानन’ सर्वप्रिय हैं अतः उनका जन्मोत्सव इतनी लंबी अवधि तक बिना किसी थकन या जोश में किसी भी तरह की कमी के आये बिना बड़े ही उत्साह पूर्वक मनाया जाता हैं जो कि संपूर्ण वातावरण में भी सकारात्मक ऊर्जा का मंडल बनाकर हर जीव की रक्षा करता हैं और निराशा से भरे मन में आशा की ज्योत जलाता हैं जिससे अपने मनोबल को मजबूत बना हर प्राणी कर्मपथ पर दुगुने उत्साह से फिर से चलायमान हो जाता हैं

आज ‘गणेश चतुर्थी’ के शुभ अवसर पर सभी मित्रगणों को इस दस दिवसीय पर्व की हृदय की अतल गहराइयों से मंगल कामनायें... ये दिन इसी तरह से बार-बार आये और हम सब मिलकर अपने प्यारे ‘गणेश’ का जन्मदिन मनाये... मन-मंदिर में श्रद्धा-भक्ति से उनकी झांकी सजाये ताकि हर बाधा-विध्न राह से दूर हो जाये... तो सब प्रार्थना करो प्रेम से कि एकदंत दयावंत चारभुजाधारी सबकी मनोकामना पूरण कर के जाये... और फिर अगली बरस जल्दी से आये... जय गणेश देवा... :) :) :) !!!  
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१७ सितंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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