मंगलवार, 15 सितंबर 2015

सुर-२५७ : 'ऐतिहासिक विमोचन... भावों की हाला....!!!"

‘हिंदी दिवस’ 
शुभ-अवसर पर
नगरी महाकाल बलवान 
उपस्थित रहे सकल ज्ञानवान
हुआ विमोचन इक महान
‘छंदमुक्त पाठशाला’ रचित
‘उत्कर्ष प्रकाशन’ से प्रकाशित   
‘भावों की हाला’ रच गयी इतिहास
किया स्थापित नव प्रतिमान
हो संकल्प समर्पण तो
हो सकता पूरण हर काज
तकनीक और कलम का संगम
कर सकता कल्पना साकार
दूर-दूर रहकर भी एक-दूजे से
काव्य सृजन कर सकते रचनाकार
फिर अपने उस सपने को
दे सकते सचमुच मनचाहा आकार
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मित्रों...,

१४, सितंबर २०१५ का सूरज अपने साथ ‘राष्ट्रीय हिंदी दिवस’ के पावन अवसर को तो लाया ही साथ उस दिन को इतिहास के साहित्य के इतिहास में सुनहरे पन्नों पर दर्ज करने का शुभ सन्देश भी अपनी प्रखर किरणों के साथ लाया... जिसके लिये देवों के देव महादेव... कालों के काल महाकाल की आध्यात्मिक नगरी ‘उज्जैयिनी’ और माँ शारदे के इस पुनीत दिवस का चयन किया और इसे अविस्मरणीय बनाने के लिये रघुकुल शिरोमणि पतित पावन भगवान् श्रीराम के परम उपासक परमपूज्य संत डॉ सुमन भाई ‘मानस भूषण’ जी के करकमलों और मौन तीर्थ संस्थान की शीतल छाया का वरण किया और फिर जो हुआ वो अपने आप में ही एक ऐतिहासिक आयोजन बन गया... शाम को अंधकार से उजाले की और ले जाने वाले अखंड दीप ज्योति के प्रज्वलन से कार्यक्रम का आगाज़ हुआ तत्पश्चात वीनापाणी माँ सरस्वती की चरण वंदना से सारा माहौल उन गरिमामय क्षणों में डूब गया जिसने हर किसी को ऐसा सम्मोहित किया कि वो बिना पलक झपके एक के बाद एक समारोह के जादुई पिटारे में छिपे अनमोल नगीनों का प्रदर्शन देखता रहा और सभी आदरणीय माननीय ज्ञानीजनों की ओजस्वी वाणी से ‘हिंदी मंगल महोत्सव’ का गुणगान सुनने के बाद इस क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने वाले साधको के सम्मान के पलों का गवाह बना और फिर आया वो ऐतिहसिक पल जब ‘छंदमुक्त पाठशाला’ (व्हाट्स एप्प साहित्यिक समूह) के प्रथम काव्य संग्रह ‘भावों की हाला’ का लोकार्पण  सुमन भाई के कर्क्मोलं से हुआ जिससे पाठशाला के उपस्थित सभी सदस्य की आँखें ख़ुशी से झलक पड़ी कि उनकी इतने दिनों की अनवरत मेहनत आखिर आज रंग ले ही आई

इसके बाद जब हिंदी साहित्य का जाने-माने कवि दिनकर सोनवलकरजी की कविताओं का नृत्य नाटिका ‘सृजन एक अनवरत यात्रा’ की मनमोहक प्रस्तुति ‘प्रतिभा संगीत कला संस्थान’ की बच्चियों  के द्वारा की गयी तो हर कोई अपलक शब्दों और भावों का अनोखा मिश्रण देखता रहा जिसने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया और फिर द्वितीय सत्र में बाहर से आये हुये सम्मानित कवि-कवियत्रियों के द्वारा ‘अखिल भारतीय कवि सम्मेलन’ का आयोजन हुआ जिसमें अलग-अलग विधा के सशक्त हस्ताक्षर अपनी सशक्त वाणी से श्रोतागणों का मनोरंजन एवं ज्ञानवर्धन करते रहे कभी किसी ओज कवि ने सभी के अंदर जोश का सैलाब ला दिया तो कभी किसी हास्य कवि ने लोगों के लबों पर मुस्कान खिला दी और इस तरह हर एक गुजरते क्षण के साथ सारा कार्यक्रम सबकी यादों का अमिट हिस्सा बन गया जिसे कोई भी भूल नहीं सकता उसी अवसर के कुछ ख़ास पलों का आज संजोया हैं... बाकी विस्तार से धीरे-धीरे सब पता चल जायेगा... जब एक-एक सदस्य के द्वारा इसका खुलासा किया जायेगा... तब तक इंतजार... :) :) :) !!!        
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१५ सितंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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