मंगलवार, 8 सितंबर 2015

सुर-२५१ : "यार, मशहूर हैं... मगरूर नहीं...!!!"


यार,
थोड़े तुमसे आगे हैं
थोड़े सफल भी हैं
फिर भी हम तुम जैसे ही हैं
फिर क्यों कभी हमें
सर पर चढ़ाकर एकदम
भगवान्बना देते हो
तो कभी जमीन पर पटककर
धूल में मिला देते हो
लेकिन ये भूल जाते हो
हम भी तो हाड़-मांस से बने
आम इंसान ही हैं
भले अपनी मेहनत से बने ख़ास हैं
फिर भी आम इंसान हैं 
सबकी तरह सांस लेते हैं
खाते-पीते, दौड़ते-भागते और
उनकी तरह ही भावनाओं में बहते हैं
माना, अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी जीते हैं  
इसका मतलब ये तो नहीं कि हम बेगैरत हैं
बस, हुये क्या हम थोड़े-से मशहूर 
तुमने तो मेरे यार समझ लिया हमें मगरूर हैं ॥ 
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मित्रों...,

हम सेलेब्रिटीहैं, हमारा नाम हैं तो लोग हमारे बारे में जानना चाहते हैं... हमें देखते हैं, हमें सुनना पसंद करते हैं... पर, ये भूल जाते हैं कि हम पब्लिक फिगरहैं पब्लिक प्रॉपर्टीनहीं... क्या इसलिये हमारी कोई प्राइवेसीनहीं, कोई निजता नहीं, जो चाहे वो हमारे बारे में कुछ भी बोल दे, कुछ भी लिख दे क्योंकि उनको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार जो मिला हुआ हैं और यदि हम मानहानि का दावा भी करें तो गलत... अरे, हम कोई फालतू नहीं बैठे कि यही सब करते रहे इनकी गलत-सलत बातों, फैलाई गई अफवाहों का खंडन करते रहे... इन सब बेकार बातों के लिये हमारे पास वक्त ही कहाँ यदि यही करते रहे तो कुछ ओर करने के लिये समय ही कहाँ रहेगा ये तो इन फालतू लोगों का ही काम हैं जो खुद कुछ न होने पर, जो कुछबन जाता हैं उसे भी अपना जैसा बनाने की सोचते रहते हैं ।

हर व्यक्ति अपने जीवन में ख़ास होना चाहता हैं, कुछ अलग करना चाहता हैं और जब वो उस ऊँचाई पर पहुँच जाता हैं, अपना एक नाम, एक पहचान बना लेता हैं तो ये लोग उसके पीछे पड़ जाते केंकड़े कहीं के... जो खुद तो कभी उपर जाते नहीं और यदि कोई अपनी मेहनत से चला जाये तो उसकी टांग खींचने में लग जाते हैं ढोल हैं सारे के सारे बजने के सिवा कोई काम नहीं इनके पास जबकि अंजाम पता ही हैं कि ज्यादा बजेंगे तो अंत में फटेंगे ही ।

ये सिर्फ़ मैं जानती हूँ कि मैंने कितनी मुश्किल से अपने घर-परिवार के खिलाफ जाकर खुद अपना केरियरचुना और फिर उसे बनाने के लिये कितना संघर्ष किया और जब मेरी 'किस्मत का सितारा' मुझे 'आसमान का चाँद' बना गया तो जिसे देखो वही मेरे पीछे पड़ा हैं... और आज तो हद ही हो गयी इन शोहरत के भूखों ने मेरा ईमेल आई.डी.हैक कर मेरी पर्सनल पिक्सको डाउनलोडकर पूरे नेट. टी.वी., मैगज़ीन और हर जगह पब्लिश कर दिया... अब मैं इन्हें अपनी व्यक्तिगत जिंदगी की सफाई दू क्यों ??? क्या इन्होने मेरे संघर्ष में मेरा साथ दिया, जब मैं इनकी ही तरह आम थी भटक रही थी सडकों पर तब इन्होने मेरा साथ दिया क्या ??? फिर अब क्यों झांकना चाहते हैं मेरे घर में, क्यों जानना चाहते हैं मुझे ??? जितना जरूरी था सब तो बता दिया इनको मगर, क्या मेरा अपना कुछ व्यक्तिगत नहीं जो मैं सब कुछ खोल कर इनको दिखा दूँ मेरी अपनी कोई तन्हाई नहीं अपना कुछ भी नहीं जिसे मैं अकेले जी सकूं ???

नहीं चाहिये मुझे ये प्रसिद्धि, ये शोहरत, ये पैसा, ये नाम... जो मुझसे मेरे निजी पल, मेरा प्यार, मेरी खुशियाँ छीन ले... मुझे नाम-पहचान तो मिल गयी मगर, इसके बदले जो हाथ से चला जा रहा लगता वो सबसे ज्यादा कीमती हैं... ये लोग क्यों नहीं समझते कि हम भी उनकी तरह ही हाड-मांस से बने इंसान हैं... किसी ओर  ग्रह से आये 'एलियंन' नहीं... और सारा गुबार निकल जाने पर वो पूरी मीडिया के सामने ही फफक कर रो पड़ी जो उससे उस खबर के बारे  में खोद-खोद कर पुछ  रहे थे जो अभी उसके 'पर्सनल पिक्स' सबके सामने आने पर सुर्ख़ियों में छाई हुई थी ।                   
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०८ सितंबर २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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