गुरुवार, 16 मार्च 2017

सुर-२०१७-७५ : जीवन ‘स्त्री’ का... शासन ‘पुरुष’ का...!!!

साथियों... नमस्कार...


किसने दिया अधिकार पुरुषों को
कि वो तय करें ?
कैसे जिये स्त्री, कैसे रहे
किस तरह के वस्त्र पहने और
क्या खाये-पिये, कब सोये-जागे या हंसे रोये
वश नहीं खुद की वासनाओं पर,
दोष देते मगर, औरत को
वही वजह होती अपने पर होने वाले हर जुल्मों का
वही भड़काती उसकी दमित इच्छाओं को
और वही होती दोषी उसके किये अपराधों की
उफ़, एक नारी को जरिया बना
किस तरह मर्दों ने अपनी कमजोरी को ढका
अपना हर पाप उसके सर मढ़ा
खुद को उसका ‘मालिक’ घोषित किया

दुनिया में हर इंसान को अपने तरीके से जीने का हक़ हैं लेकिन ये नियम सिर्फ पुरुषों पर ही लागू होता क्योंकि ‘स्त्री’ के जीवन का निर्धारण उसने ही किया जहाँ उसने उसके लिये सब कुछ अपने हिसाब से तय किया क्योंकि वो बहुत पहले उसकी बहुमुखी प्रतिभा एवं असीमित क्षमताओं को जान चुका था इसलिये वे सभी काम जो उसे मुश्किल प्रतीत हुये उसने औरत पर थोप दिये और खुद के लिये आसान कामों को चुना जिसके लिये बड़े दमदार से तर्क चुने ताकि वो उसे सहजता से ग्रहण कर सके तो सदियों से यही परंपरा चली आ रही कि नारी घर के भीतर रहते हुये सुबह से शाम तक अनेक कामों में व्यस्त रहती जबकि बाहर मर्द कमाई के नाम पर निकलता तो अपने हर शौक भी पूरा करता उसके बाद घर पर उसे बिना कुछ किये बिना ही सब कुछ तैयार मिलता कि उसने अच्छी तरह से औरत के मन में ये बात भर दी कि उसका कार्य केवल उसकी सेवा करना हैं क्योंकि वो उसी के लिये बहुत मेहनत करता तो अपने काम व अपनी जिंदगी को एकदम नगण्य समझते हुये वो हर तकलीफ को झेलकर भी उसकी ख़ुशी का ख्याल रखती जहाँ उसकी किसी इच्छा का कोई अर्थ नहीं होता था परंतु कुछ स्त्रियों ने साहस करते हुये घर की दहलीज लांघी और बाहर जाकर नौकरी कर के देखा तो पाया कि ये इतना मुश्किल नहीं फिर भी उसके जिम्मे के काम उसे करने ही पड़ते कि वो मान्यता जो बना दी गयी उसके अनुसार हर हाल में उसे गृहस्थी संभालनी ही हैं तो अब वो घर ही नहीं बाहर भी खटती जबकि आदमियों के जीवन में तो कोई फर्क पड़ता नहीं वो अब भी एकतरफ़ा ही अपने अनुसार ही अपनी जिंदगी गुज़ारता जिसमें थोड़ा-बहुत परिवर्तन समय के साथ आया हैं लेकिन अब भी डोर पुरुषों के हाथ में ही हैं अतः प्रश्न अनुतारित्त कि किसने उसको ये अधिकार दिया कि वो स्त्रियों की जीवनधारा की दिशा तय करें???           

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१६ मार्च २०१

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