शुक्रवार, 24 मार्च 2017

सुर-२०१७-८२ : लघुकथा : ‘अ-साधारण से साधारण बनने का भय’

साथियों... नमस्कार...


पप्पू - मम्मी ये तो अब प्रूव हो गया कि मैं अपने खानदानी पेशे को आगे बढ़ा पाने में सक्षम नहीं इसलिये मुझे इसे त्याग कुछ और करने की सोचना चाहिये ।
मम्मी - बेटा, तू चाहे कुछ भी कर या कहीं भी चला जा पर, तुझे इससे अधिक आसान काम दूसरा न मिलेगा और सबसे बड़ी बात अपने इस पारिवारिक कार्य में किसी सेलिब्रिटी की तरह जो मान-सम्मान मिलता वो भी न किसी और काम में मिलेगा तो इस काम को नहीं विचार को त्याग और इसी धंधे से लगे रहे ।
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२४ मार्च २०१७

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