रविवार, 5 मार्च 2017

सुर-२०१७-६४ : क्षेत्र कोई हो अपने दम पर... विजय परचम लहराती नारी... ०४ !!!

साथियों... नमस्कार...


ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में तो फिर भी उसने किसी तरह से घुसपैठ बना ही ली लेकिन, ‘राजनीति’ तो सर्वथा उसके लिये वर्जित क्षेत्र था जिस पर मर्दों का एकाधिकार सदियों से मान लिया गया था क्योंकि इसे उसके अनुकूल नहीं समझा जाता था जबकि घर के अंदर उसका ही शासन चलता फिर भी पुरुषों को शक था कि घर और देश चलाना दो भिन्न बातें जिसका एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं जबकि अनुभव के मामले में जब तक कि उसमें दाखिला न हो जाये वो भी उसी की तरह शून्य होता फिर भी उसे लगता कि स्त्रियों में ये योग्यता नहीं कि वो सत्ता संभाल सके पढ़ाई-लिखाई करना फिर भी आसान हैं लेकिन बिना पढ़े-लिखे समूचे राष्ट्र की जनता पर शासन करना उन्हें अपनी बातों से बहलाये रखना औरतों को काम नहीं चाहे लच्छेदार बातें करने में उनको महारत हासिल मगर, इस जगह आकर तो साम-दाम-दंड-भेद सब अपनाना पड़ता और येन-केन प्रकरण अपनी कुर्सी को बचाने हर तरह के जोड़-तोड़ में माहिर होना पड़ता जो गृहस्थी के जंजाल जितना सरल नहीं पर, वे ये भूल गये कि ‘घर’ की चारदीवारी में रहते हुये सामाजिक-पारिवारिक संबंधों को निभाना सबसे आपसी नेह-नाते बनाते हुये नये रिश्ते भी जोड़ना और विभिन्न मिज़ाज के सदस्यों के बीच रहकर सबको हर हाल में प्रसन्न रखना किसी सियासी दांव-पेंच से कम नहीं और ये हूनर उसे कुदरती रूप से हासिल जिसमें वो अपनी समझ से जब जैसा जरूरी समझती कदम उठाती ये और बात कि वो उसकी तरह कठोरता से काम नहीं करती मगर, जब बात जिम्मेदारी की हो तो फिर किसी परिस्थिति से नहीं डरती चाहे कोई समझौता करना पड़े या फिर किसी दुश्मन को गले लगाना हो हिचकती नहीं और यही सब तो राजनीति में भी जरूरी फिर न जाने क्यों पुरुषों ने ये समझ लिया कि वो ये काम नहीं कर सकतीपर, आखिर कब तक वो उसी काबिलियत को बंधकर रख पाता जो जैसा कि हमने देखा कि उसने इस क्षेत्र में भी अपने आप को बेहतर तरीके से स्थापित कर सारी पुरानी मान्यताओं की धज्जियां उड़ा दी और ऐसे-ऐसे निर्णय लिये कि नेता भी दंग रह गये कि चाहे भाषणबाजी हो या फिर ऊँगली उठाना या किसी मुद्दे पर अपने विचार रखना वो कहीं भी पीछे न हटती तो इस तरह इस जगह के दरवाजे भी उसके लिये खुल गये जिसने उसकी परवाज को नये आयाम दिये...

इतिहास में झांके तो पाते कि ‘रजिया सुल्तान’ पहली महिला शासिका थी जिसने राजगद्दी पर बैठ राजतंत्र चलाया पर, उसे एक मजबूरी भरा कदम मानते हुये महिला सशक्तिकरण की दिशा में बहुत उल्लेखनीय कदम नहीं माना गया लेकिन, फिर ‘सरोजिनी नायडू’ और उसके बाद उनकी ही भतीजी व देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में महिलाओं का सर ऊंचा करने वाली तेज-तर्रार नेत्री ‘श्रीमती इंदिरा गाँधी’ ने अपने ऐतिहासिक फैसलों से इस प्रतिबंधित कार्यक्षेत्र में वो कर दिखाया जिसने पुरुषवादी माने जाने वाले इस राजनैतिक क्षेत्र में अपने हैरतंगेज कारनामों से राजनीति की नई इबारत लिखी तो फिर अन्य नारियों को लगा कि वो भी ये कर सकती जिसने हमें नजमा हेपतुल्ला, जयललिता, वसुंधरा राजे, सुषमा स्वराज, ममता बनर्जी, सोनिया गाँधी, मेनका गाँधी, प्रतिभा पाटिल, मायावती, उमा भारती, स्मृति ईरानी जैसी दिग्गज महिला नेत्रियाँ दी जो अपने दम-खम से बड़े-बड़े पुरुष नेताओं की कुर्सियां हिलाने का माद्दा रखती हैं यहीं नहीं अपनी शर्तों पर शासन भी करती हैं और सबसे बड़ी बात की ये सब केवल नेता या मंत्री जैसे पदों को ही सुशोभित नहीं कर रही बल्कि इनमें से कई अपनी कार्य-कुशलता के बल पर मुख्यमंत्री जैसे बड़े पद पर भी विराजमान होकर अपने राज्य का कुशलतापूर्वक संचालन कर रही जो अन्य महिला नेत्रियों के लिये अनुकरणीय और हमारा सौभाग्य कि हम इनकी राजनितिक समझ को स्वयं देखकर उसका आंकलन भी कर पा रहे कि किस तरह से इनके इशारे पर लोग चल रहे और मंत्री भी इनकी कही बात को हल्के में लेने की गुस्ताखी नहीं कर रहे जबकि एक समय यही होता था कि मर्दों को स्त्रियों का शासन नाकाबिले बर्दाश्त था पर, अब उसे कुछ भी असंभव नहीं लगता वो ये मान चुका कि स्त्रियाँ कुछ भी कर सकती हैं...


महिलाओं को यदि अपने हक की बात करना या अपने लिए कानून बनाना हैं या फिर किसी प्रस्ताव को पारित करवाना हैं तो ये जरुरी कि वो इस क्षेत्र में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करें और इस तरह से बहुमत बनाये कि उसके निर्णय से इंकार करने का कोई साहस न कर सके क्योंकि बलात्कार और महिला हिंसा कुछ ऐसे मुद्दे जिन पर अब तक कोई भी ठोस व कठोर कानून नहीं बन सका कि अभी भी यहाँ एक तरह से पुरुषों का ही वर्चस्व और जो कुछ महिलाएं हैं भी तो वे गिनी-चुनी जिनमें से चंद ही दमदार लेकिन इस तरह के प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने नाकाफी तो महिलायें अब इसे भी अपने कार्यक्षेत्र के रूप में देखने का प्रयास करें तभी जाकर वे अपनी हमजात की सुरक्षा के लिये कुछ ठोस काम कर पायेंगी... :) :) :) !!!
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०५ मार्च २०१७

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