गुरुवार, 30 मार्च 2017

सुर-२०१७-८९ : पूर्वानुमान भी रोक नहीं पाता... जो होना होता होकर ही रहता...!!!

साथियों... नमस्कार...

जब भी कुछ होता तो लोग कहते कि यदि उन्हें पहले से जरा भी भनक होती तो वे इसे रोक लेते होने न देते परंतु बहुत सी ऐसी घटनायें या अनहोनी होती जो ये साबित करती कि चाहे पहले से पता हो या न हो होनी होकर ही रहती...
 
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सब कहते
जब राजमहल से
निकले राजकुमार सिद्धार्थ
सोती यशोधरा को छोड़
तो बन गयी बैरन कायनात भी
न हुई कदमों की आहट
न ही कपड़ों की सरसराहट
न ही मन में ही हल्की भी छटपटाहट
फिर किस तरह जान पाती
अर्धांगिनी उनका गमन
गर, होता जरा-सा भी अहसास
तो जिस तरह सीता चल दी
छोड़कर महलों का सुख वैभव
अपने प्रियतम के पीछे
क्या वो भी न चली जाती
पर, ऐसा होता तो क्या होता ???
.....
न पाते सिद्धार्थ
जीवन रहस्यों का मर्म
न मिलता उन्हें परम तत्व
न बन पाते वो 'गौतम बुद्ध'
न ही बनता 'बौद्ध धर्म'
कि माया और तपस्या साथ-साथ
न रह सकते कभी
शायद, जानकर ये रहस्य ही
परम धाम को जाते हुये बुद्ध ने
दी थी सख़्त चेतावनी कि
स्त्रियों का प्रवेश वर्जित रखना सदा
वरना, गर हजार वर्ष
चलने वाला होगा ये मत तो
सिर्फ पांच सौ बरस ही चल पायेगा
फिर भी न माना किसी ने
तो हुआ वही जिसका संदेह था ।
.....
वो आहट जिसे
सुन न सकी थी सोती यशोधरा
तो गंवा बैठी जीवन धन
उसे योग निंद्रा में सुन लिया था
ध्यानमग्न बुद्ध ने तो भी
न बच सका साधना से बनाया धर्म
कि आहट हो या न हो
होनी को नहीं सकता कोई भी रोक
भले ही खुद को समझाने
कहते रहे हमेशा कि यदि सुनी होती
जरा सी भी आहट तो
जो कुछ भी हुआ उसे होने न देते ।।
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कभी-कभी तो हम सब कुछ जानते हुये भी उस संभावित खतरे को टाल नहीं पाते कि बहुत कुछ पहले से तय होता जिस पर हमारा जरा भी अख्तियार नहीं होता और हम उसे बेबस से देखने के सिवाय कुछ भी नहीं कर पाते... यही वो पल जो बताते की हम उस परम शक्ति के अधीन, नियति के हाथों की कठपुतली... :) :) :) !!!
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

३० मार्च २०१७

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