शनिवार, 4 मार्च 2017

सुर-२०१७-६३ : क्षेत्र कोई हो अपने दम पर... विजय परचम लहराती नारी... ०३ !!!

साथियों... नमस्कार...

'ज्ञान' के बाद बात आती 'विज्ञान' की जो एक ऐसा विषय जिसे कभी एक तरह से लड़कियों के लिये मानो वर्जित ही कर दिया गया था जो एक अघोषित नियम की भांति था कि ‘विज्ञान’ तो उनके लिये बना ही नहीं ज्यादा से ज्यादा वो ‘बायोलॉजी’ पढ़ना चाहे तो उसे ले सकती लेकिन ‘मैथ्स’ पर तो जैसे ‘ओनली फॉर बॉयज’ का ठप्पा लगा दिया गया था और इसके पीछे तर्क ये दिया जाता था कि उनके पास इतना दिमाग या बौद्धिक क्षमता नहीं कि वे इसे समझ सके लेकिन धीरे-धीरे उसने इस वर्जना को तोड़ने का भी साहस किया और अपनी परिधि रेखा को थोड़ा-सा बड़ा कर लिया कि इस विषय ने उसकी कल्पना को उड़ान दी और वो सब जो उसके भीतर कहीं उसे कचोटता था या कुछ ऐसा जिसे वो समझती थी कि कर सकती मगर, कैसे ये जान नहीं पाती थी मन की उन सब गतिविधियों को साकार करने का सही मार्ग मिला क्योंकि मानसिक रूप से ईश्वर ने उसे भी उतना ही सक्षम बनाया जितना कि पुरुष को परंतु उसे ये गुमान रहता कि जो कुछ वो कर सकता उसे नारी अंजाम नहीं दे सकती परंतु उसने डॉक्टर, इंजीनियर, अंतरिक्ष यात्री, वैज्ञानिक, अविष्कारक और शोधकर्ता के रूप में उसके इस भ्रम को भी चूर-चूर कर दिया क्योंकि जितना क्रियाशील, उर्वरक और कलात्मक उसका दिमाग उतना ‘नर’ का नहीं हो सकता जो विध्वंशक अधिक होता जबकि वो जननी तो विनाश की जगह सर्जन ही मन में चलता इसलिये तो अभी जो 104 उपग्रह भेजे गये उसमें महिला सदस्यों ने बेहद सक्रिय भूमिका निभाकर अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज की जो यही बताती कि इस जगह से महिलाओं को दूर रखना भारत के विकास की गति को धीमा कर सकता हैं...

उन्नीसवीं सदी में प्रथम चिकित्सक ‘आनंदीबाई जोशी’ ने मेडिकल के क्षेत्र में दखल देकर जो यात्रा शुरू की थी वो बीसवीं सदी में ‘जानकी अम्माल’, ‘कमला सोहोनी’, ‘अण्णा मणि’, ‘असिमा चटर्जी’, ‘राजेश्वरी चटर्जी’, ‘दर्शन रंगनाथन’, ‘मंगला नार्लिकर’ जैसी अनेक महिला वैज्ञानिकों के जरिये मौजूदा सदी में ‘यमुना कृष्णन’, ‘शुभा तोले’, ‘प्रेरणा शर्मा’, ‘नीना गुप्ता’ आदि तक पहुंची है ये सिर्फ चंद नाममात्र नहीं है बल्कि ये इन्होने विज्ञान के क्षेत्र में अपने अमूल्य योगदान से ये साबित किया हैं कि ‘गणित’, ‘विज्ञान’ और ‘चिकित्सा’ के क्षेत्र में भी वे जटिल मीमांसाओं और सैद्धांतिकी की विकास प्रक्रिया में न केवल नवीन धारणायें प्रस्तुत कर सकती हैं बल्कि इनको बेहतर तरीके से समझकर नई परिपाटी स्थापित कर सकती हैं इसके बावजूद भी अब तक उच्च शिक्षा और शोध के स्तर पर महिलाओं की संख्या संतोषजनक नहीं है और ‘विज्ञान’ व उससे संबद्ध संस्थाओं में महिलाओं की मौजूदगी के मामले में भारत 69 देशों की सूची में लगभग सबसे निचले पायदान पर है जो ये दर्शाता कि जिस मुकाम को हम हासिल करना चाहते या सफ़लता की जिस चोटी पर हमें पहुंचना उसे महिलाओं के सहयोग के बिना पाना आसान नहीं तो जरूरी कि वो भी आगे आये और दूसरे लोग भी उसे इस दिशा में आने को प्रेरित करें ताकि वो हिचकिचाहट जो उसके मन में भरी उसे दूर कर वो बेहिचक विज्ञान को अपना सके... विज्ञान पत्रिका नेचरके ताजा सर्वेक्षण के अनुसार ‘भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी’ में 2013 में कुल 864 सदस्यों में सिर्फ 52 महिलाएं थीं तथा वर्ष 2014 तक इस संस्थान के 31-सदस्यीय अधिशासी समिति में एक भी महिला सदस्य नहीं थी जबकि भारत की तुलना में अमेरिका, स्विट्जरलैंड और स्वीडन में राष्ट्रीय अकादमी के शासन मंडल में 47 फीसदी महिलाएं हैं, क्यूबा, नीदरलैंड और ब्रिटेन में विज्ञान अकादमियों में 40 फीसदी से अधिक महिलाएं हैं...

जब भी विज्ञान के क्षेत्र में स्त्रियों की सक्रिय भूमिका की बात की जायेगी या इस बात का आंकलन करने के प्रयास किये जायेंगे कि उन्होंने विज्ञान को क्या दिया तो स्थिति उतनी उल्लेखनीय नजर नहीं आयेगी इस बात की गंभीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि भारत में सरकारी विज्ञान संस्थाओं में सिर्फ एक संस्थान की प्रमुख महिला है ऐसे में जरूरी है कि महिला सशक्तीकरण के प्रयास को तेज करते हुए विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जाये तथा सामाजिक और सांस्थानिक भेदभावों एवं पूर्वाग्रहों को तिलांजलि दी जाये महिलाओं की समुचित हिस्सेदारी और योगदान के बिना देश के सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को हासिल करना संभव नहीं हैं तो वे खुद भी ये जान ले कि राह भले ही कठिन हैं पर, नामुमकिन नहीं और यदि वो एक बार ये निर्णय ले ले कि उसे शीर्ष पर विराजमान होना ही हैं तो फिर उसे ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि उसके फ़ैसले स्थायी होते जो लक्ष्य की प्राप्ति तक डिगते नहीं तो लडकियों को अपने विषय की सूची में परिवर्तन करते हुये शोध और अनुसंधान को प्राथमिकता देनी चाहिये ताकि वो वैज्ञानिक बनकर ऐसे यंत्रो का निर्माण करें जिनसे भारत अधिक विकसित हो सके... :) :) :) !!!
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०४ मार्च २०१७

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