साथियों... नमस्कार...
हर चीज़ की
एक हद होती हैं
फिर ये नामुराद 'प्यार'
क्यों ???
बेहद होता हैं...
आतंकवादी कहीं का...
तोड़ के सीमा
अपने दिल की दूसरे की
दहलीज़ पर जाकर
क्यों आक्रमण करता हैं ???
क्यों ???
उसके मन आँगन में
बेचैनी की बारूद
यादों की बंदूक दागता हैं
और,
जब इस दुश्मन से
हो जाता प्यार
तो फिर उजाड़कर
दिल का चमन
छीनकर दौलत ए सुकूँ
क्यों वापस चला जाता हैं ??
लगता,
अब इसे भी
आतंकवादी घोषित
करना ही पड़ेगा
पर,
इससे होगा क्या ???
वो तो
पहले भी आज़ाद था
आगे भी यूँ ही उन्मुक्त उड़ेगा ।।
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© ® सुश्री
इंदु सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२६ मार्च २०१७
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