सोमवार, 27 मार्च 2017

सुर-२०१७-८६ : 'विश्व रंगमंच दिवस' का पैग़ाम... एक सलाम हर किरदार के नाम...!!!

साथियों... नमस्कार...

अब तो तकनीकी विकास के कारण वास्तविक जगत के साथ-साथ आभासी-दुनिया भी जुड़ गयी या दूसरे शब्दों में कहे तो दुनिया तो अभी भी एक ही हैं लेकिन उसके भीतर कई छोटे-छोटे जहाँ समाये हुये हैं जिनमें रहने वालों की भूमिका अपने आस-पास के परिवेश के अनुसार बदलती रहती हैं और जब से इसमें आभासी संसार भी जुड़ गया तो मानो उनके अपने दायरे का ही विस्तार नहीं हुआ बल्कि उनके किरदार भी बढ़ गये जिससे कि पहले तो केवल घर-बाहर ही अलग-अलग मुखौटे लगाने पड़ते थे लेकिन अब तो इस जगह भी अपने आपको स्थापित करने हर किसी ने अपना एक नया चरित्र स्वयं ही गढ़ लिया जो कि उसकी असली शख्सियत से एकदम अलग हैं एक तरह से देखें तो उसने इस जगह पर खुद को उस तरह से स्थापित किया जैसा वो होना चाहता था परंतु किसी कारणवश हो नहीं पाया तो उसने अपने मन की दबी भावनाओं को ज़ाहिर करने इस माध्यम को उस मंच की तरह इस्तेमाल किया जिस पर वो कभी खुलकर अपने हुनर को दर्शा नहीं पाया तो इस तरह यहाँ वो कवि / लेखक / चित्रकार / गायक / कलाकार या जो भी वो चाहता था बन गया जिसका उसकी हकीकी ज़िंदगी से भी वास्ता हो सकता हैं या फिर वो रूप उसने केवल इस जगह के लिये ही अपनाया हो ये भी संभावना हैं...

खैर, जो भी हो ये तो तय हैं कि आज के इस प्रतिस्पर्धा भरे युग में आदमी के ऊपर अपने आपको तरह-तरह से प्रस्तुत करने का एक अदृश्य दबाब हैं जिसके कारण वो एक हस्ती होकर भी एक ही दिन में अनेक भेष बदलता और हर जगह अपने रोल में सौ प्रतिशत देने की कोशिश करता जिससे कि कोई उसे नजरअंदाज न कर सके तो इस तरह उसने अपनी बहुमुखी प्रतिभा के अनुसार बहुरूप धारण कर लिये हैं जिनके अनुसार वो स्वयं को ढालता रहता और इस चक्कर में कभी-कभी वो अपनी अंदरूनी सुंदरता को भी विस्मृत कर देता क्योंकि बाहरी चमक-दमक, भ्रामक टिप्पणियां और तथाकथित सेलिब्रिटी होने का भाव उसमें एक झूठा अभिमान भी पैदा कर देता जिसे बरक़रार रखने का प्रेशर फिर उसको स्थायी रूप से मुखौटा लगाने मजबूर कर देता ऐसे में जरुरी कि हम जमीनी सच्चाई से भी रूबरू हो ताकि जब कभी पर्दा उठे तो खुद को आईने में देखकर पहचान सके क्योंकि अपनी असली पहचान को किसी कोने में रखकर हम रोज इतनी सारी भूमिकायें निभाते कि फिर उसे भूल जाते तो आज इस 'विश्व रंगमंच दिवस' पर हम इस आभासी रंगमंच के भी सभी किरदारों को सलाम करें और उन्हें अपनी सफल अदाकारी के लिए बधाइयां दे... पर, साथ ही सबको ये सलाह भी दे कि वो अपने उस किरदार को पूर्ण ईमानदारी से अदा करें जो ईश्वर ने उन्हें दिया... इसके अतिरिक्त वे सभी अदाकार जो रंगमंच पर काल्पनिक पात्रों को जीवित करते उन सबको भी बहुत-बहुत बधाई... आखिर दिन तो उन्ही का हैं लेकिन हम सब विधाता के बनाये रंगमंच के साथी कलाकार तो सबको इस दिवस की अनेकानेक शुभकामनायें…  :) :) :) !!!  
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२७ मार्च २०१७

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