बुधवार, 22 मार्च 2017

सुर-२०१७-८० : 'विश्व जल दिवस' का संदेश... संभलो लोगों कि न रहे कुछ भी शेष...!!!

साथियों... नमस्कार...


पंचतत्वों से बने हम जिनमें 70% हिस्सा तो 'जल' का ही हैं और इसी तरह इस पृथ्वी को भी चारों तरफ से जल ने ही घेर रखा हैं इसलिये जल-प्रलय से ही इसका अंत होता इसके बावज़ूद भी अब ये स्थिति आ गयी कि वही जीवन दायिनी 'नीर' धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा क्योंकि कुदरत ने तो हमें मुफ्त में ही बेशकीमती ख़ज़ाने बख्शे लेकिन हमने केवल अपने लिये उनका पूरी तरह दोहन कर लिया जिसका नतीजा कि आज तो हम फिर भी किसी तरह उसे प्राप्त कर पा रहे हैं मगर, वो दिन दूर नहीं जब हम मुंहमांगा दाम चुकाकर भी 'हवा' या 'पानी' नहीं खरीद पायेंगे क्योंकि इस धरती पर प्रकृति प्रदत्त इन तत्वों की जरा-भी मात्रा शेष न रह जायेगी जिसका खामियाज़ा हमारे साथ-साथ इस सारी दुनिया या उसके इंसान ही नहीं बल्कि निरपराध मूक पशु-पक्षियों को भी झेलना पड़ेगा तब ऊपरवाले की अदालत में अपराधी की भांति खड़े हम अपनी सफाई में कोई तर्क प्रस्तुत न कर पायेंगे कि जब उसने सबके लिए कुदरत के पर्याप्त बेमोल ख़ज़ाने दिए थे तो फिर हमने अकेले ही किस तरह उस पर अपना अधिकार समझ उसे खर्च कर लिया किसी के भी बारे में एक पल विचार तक नहीं किया कि वो निरीह जानवर किस तरह से अपनी जान बचायेंगे बल्कि हम तो अपने स्वार्थ में उनको मारने तक से पीछे नहीं हटे याने कि यहां भले हम खुद को निरपराधी समझे पर, वहां हमारे गुनाहों की पूरी सज़ा भुगतनी होगी वहां न कोई रिश्वत और न ही किसी की सुनवाई ही चलेगी, चलेगा तो सिर्फ इंसाफ का डंडा, बजेगा भी तो सिर्फ़ न्याय का डंका...

अब जबकि हम इसकी भयावह स्थितियों से भली-भांति परिचित तब भी हमारी लापरवाही की आदत में कोई विशेष परिवर्तन नजर नहीं आ रहा जबकि अपनी ही आँखों के सामने हम उसे बिकता देख रहे हैं तो इसमें कोई शंका नहीं कि ज्यादा समय नहीं लगेगा उस दिन में जब अगला विश्व युद्ध केवल जल के लिये ही लड़ा जायेगा और अपनी सारी दौलत देकर भी हम एक बूंद जल नहीं खरीद पायेंगे तो इससे पहले कि वो क़यामत, क़यामत से पहले ही आ जाये अब भी समय हैं कि हम सचेत व सतर्क हो जाये और अपने नौनिहालों को कुछ नहीं तो कम से कम शुद्ध जल की नेमत तो देकर ही जाये... न पानी व्यर्थ बहाये और न किसी को उसका दुरुपयोग ही करने दे चाहे इसमें कितनी भी मेहनत या समय लगे लगाये... पानी बचाये... सबको बताये... :) :) :) !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२२ मार्च २०१७


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