शनिवार, 25 मार्च 2017

सुर-२०१७-८३ : कलम के सच्चे सिपाही... ‘गणेश शंकर विद्यार्थी’ !!!

साथियों... नमस्कार...


गुलामी के दिनों में हर किसी ने अपनी तरह से देश के प्रति अपना फर्ज़ निभाया किसी ने अस्त्र-शस्त्र उठाकर जंगे मैदान में मोर्चा लिया तो किसी ने अपनी कलम को ही अपना हथियार बना लिया और इस तरह हर किसी ने अपने वतन को आज़ाद कराने की खातिर फिरंगी सरकार से मुकाबला किया ताकि वे अपनी मातृभूमि को परतंत्रता की जंजीरों से मुक्त करा सके और भारत माता के प्रति अपना फर्ज़ निभा स्वदेश के प्रति अपने ऋण से मुक्त हो सके ऐसे ही ‘गणेश शंकर विद्यार्थी’ ने अपने क्रांतिकारी विचारों से लोगों के मन में स्वदेश प्रेम की भावना जागृत कर उनको देश के दुश्मनों से लड़ाई करने के लिये तैयार किया जिससे कि सब मिलकर जल्द से जल्द अपने तिरंगे को लहराता देख सके इसके लिये उन्होंने ‘महाराणा प्रताप’ से प्रेरणा प्राप्त कर ‘प्रताप’ नाम से एक अख़बार प्रारंभ किया जिसके माध्यम से उन्होंने जन-जन में ऐसे ओजपूर्ण उत्साहवर्धक लेख प्रकाशित किये कि उन्हें पढ़कर देश के नवजवानों के रक्त में उबाल आ जाये और वे उनको गुलाम बनाने वाले विदेशियों को हिंदुस्तान की सरजमीन से खदेड़ यहाँ पर पुनः अपना शासन स्थापित कर सके और इस काम में वे सफ़ल भी रहे लेकिन जब २३ मार्च १९३१ को भगत सिंह. राजगुरु एवं सुखदेव को एकाएक फांसी दे दी गयी तो वे कलम छोड़ मैदान में कूद पड़े और आज ही के दिन २५ मार्च १९३१ को देश पर कुर्बान हो गये तो आज उनकी शहादत पर हम सब देशवासी उनको मन से नमन करते हुये अपने श्रद्धा सुमन समर्पित करते हैं... :) :) :) !!!       

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२५ मार्च २०१७ 

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