सोमवार, 19 जून 2017

सुर-२०१७-१६९ : ‘इनबॉक्स : प्रेम का डिजिटल अड्डा’ !!!


कुछ प्रेम कहानियाँ मोबाइल / लैपटॉप के इनबॉक्स में जन्म लेती हैं और वहीँ खत्म हो जाती हैं गोया कि इनबॉक्स न हुआ प्रेम का गुप्त अड्डा हो गया जहां छिप-छिपकर प्रेम किया जाता हैं और जब निभाना कठिन हो तो उसे वही दफनाकर उस ‘इनबॉक्स’ को ‘हिडन लव’ की कब्रगाह में तब्दील कर दिया हैं ठीक उसी तरह जिस तरह अनारकली को दीवारों में चुनवा दिया गया था कुछ वैसा ही हाल होता उस प्रेमी / प्रेमिका की चैट का जिसे वहां सदा के लिये बंद कर दिया जाता हैं ।

कम न समझना इस ‘इनबॉक्स’ को बड़ी खतरनाक जगह जहां पर न जाने किस-किस के कितने गोपनीय राज़ दफ़न जो अगर गलती से भी खुल जाये तो न जाने कितनी ज़िंदगियाँ बर्बाद हो जाये इसलिए जिन्हें सुरक्षित प्रेम की तलाश वो इन छिपे हुये आश्रय का सहारा लेते ताकि वो अपनी मन की साध भी पूरी कर ले और किसी को कानों-कान खबर तक न हो आजकल के तथाकथित सफेदपोशों का प्यार यही जन्म लेता और एक दिन यही मर भी जाता  ।

जो सचमुच प्रेम करते वे तो अनारकली के ही जैसे ‘प्यार किया तो डरना क्या’ की तर्ज पर ऐलान करने से भी नहीं डरते इसलिये उनको इनबॉक्स एक सहारे की तरह महसूस होता लेकिन वे लोग जिनकी फ़ितरत ही फ्लर्ट करने की होती या वे जो अपनी बनी-बनाई इमेज को खराब नही करना चाहते लेकिन अपनी इश्क़ की भावना पर नियंत्रण नही कर पाते वे भी इसे बेहद महफूज़ जगह समझते और अपनी भावनाओं का यहाँ बेहिचक प्रदर्शन करते जब उन्हें ये अहसास हो जाता कि अगला उनके मैसेज का स्क्रीनशॉट लगाकर ऊनि इज्जत का फालूदा नहीं बनायेगा

जो भी हो आजकल के जमाने में सबको अपने दिल की बात कहने का ये बेहतरीन और सुरक्षित माध्यम मिल गया हैं तो वे इसका उपयोग करने में पीछे नहीं हट रहे पर, कहीं न कहीं इसका दुरुपयोग भी हो रहा कि कुछ लोग दूसरों का मोबाइल नंबर पाकर जबरन रिश्ते बना रहे तो कुछ लोग अपने ऊबे हुये रिश्तों से दो पल की राहत पाने और कुछ महज़ टाइमपास करने भी इसका प्रयोग कर रहे जिससे कि वो जो तकनीक के द्वारा दूरस्थ लोगों को नजदीक रहने की सुविधा मिली थी वही किसी के लिये सरदर्द भी बन गयी मगर, स्मार्ट फोन ने लोगों को भी स्मार्ट बना दिया तो वे ब्लॉक का ब्रम्हास्त्र चलाकर इससे छुटकारा पाते इसके बावजूद भी कहीं न कहीं ये सिलसिला चलता रहता

इससे ये साबित होता कि प्रेम भी अब ‘डिजिटल इंडिया’ के जमाने में डिजिटल हो चुका हैं जो सिग्लन की तरह दो दिलों को कनेक्ट करता तो सिम की तरह आवश्यकतानुसार बदला भी जाता और मोबाइल के जैसे नये मॉडल आने पर पुराने को छोड़ दिया जाता याने कि सब कुछ टेक्नोलॉजी के अनुसार 3G/4G बोले तो जनरेशन के साथ लगातार अपडेट हो रहा जिसने लोगों की मानसिकता को अपने रंग में रंग लिया इसलिये वो प्रेम जो कभी दिलों में पलता था अब इनबॉक्स में जनम लेकर वहीँ दम तोड़ रहा और कभी मोहल्ले भर की जानकारी रखने वाले अपने ही घर में चल रहे इश्क़ की मुश्क़ से परिचित ऐसे में उसका अंजाम सिवा मरने के और क्या हो सकता हैं भला ???  
        
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१९ जून २०१७

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