मंगलवार, 6 जून 2017

सुर-२०१७-१५६ : लघुकथा : “ऐश-ट्रे” !!!


मोबाइल पर अश्लील फिल्म देखते हुये उसने महसूस किया कि उसकी संपूर्ण देह किसी सिगरेट की भांति सुलग उठी हैं जिसकी ताप को सहन करना अब उसके वश में नहीं रह गया और यदि जल्द ही उसने अपनी धधकती देह के अगले सिरे पर जमा हो चुकी कामुकता की राख़ को नहीं झाड़ा तो शायद, वो भी वासना की उस तेज आग़ में झुलस जाये कि तभी उसकी नजर खिड़की के बाहर खेलती मासूम ‘परी’ पर पड़ी और उसे समझ आ गया कि वो किस ऐश ट्रे में इसे रगड़ सकता तो उसने बहाने से उसे घर के भीतर बुलाया और अपने तन की हवस भरी राख को उसके भीतर झाड़कर खुद को बेहद तनाव रहित महसूस किया
     
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०६ जून २०१७

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