शुक्रवार, 23 जून 2017

सुर-२०१७-१७३ : लघुकथा : “अब, वो मेरी रिंगटोन नहीं...!!!”


‘मिली’ और उसकी सहेली ‘रुचिका’ कमरे में न जाने क्या-क्या बातें कर के हंसती रहती हैं पता ही नहीं चलता क्योंकि उनकी बातों की आवाज़ तो बाहर नहीं आती लेकिन हंसी जरुर बंद दरवाजे को भी चीरकर कानों में पहुँच जाती तब उसकी मम्मी ख्यालों में खो जाती यही तो उमर थी उसकी भी जब वो भी अपनी सहेलियों के साथ यूँ ही खिलखिलाती थी अंतर केवल इतना था कि घर के अंदर ये संभव नहीं था तो वे लोग कॉलेज में ही चहकती फिरती आख़िर, वो उम्र ही ऐसी होती जब बेवजह भी होंठ मुस्कुराते रहते उस पर यदि प्यारी सखियाँ साथ हो तो बातों के विषय बदलते मौसम की तरह एक पल में धूप-छाँव जैसे सुहाने तो दूसरे पल सर्दी-गर्मी से मनभावन और कभी बारिश से इंद्रधनुषी होकर बरसने लगते

कुछ अपने लड़कपन और कुछ अपनी किशोरावस्था में उन्हें पता ही नहीं चला कि कब उनकी खिलखिलाहट से आकर्षित होकर भंवरे उनके आगे-पीछे मंडराने लगे ये अहसास तो तब हुआ जब उन मनचलों की बातों से मन में गुदगुदी तो तन में सिहरन होने लगी जिससे उनके चलने-बैठने-उठने का ही नहीं पहनावे का भी ढंग बदल गया और उनमें से कोई एक उसकी प्रिय सहेली ‘गरिमा’ के दिल में ऐसा समाया कि वो हंसना ही नहीं सजना-संवरना तक भूल गयी और आज तक उसके नाम पर एकाकी जीवन बीता रही क्योंकि उनके प्रेम को न जाने किसकी नजर लग गयी कि वो आने का वादा कर के जो दूसरे शहर नौकरी करने गया तो फिर कभी वापस ही नहीं आया पर, ‘गरिमा’ उसके वादे को कभी भूल न सकी आज भी उसका इंतजार कर रही तभी अचानक फिर जोर से कमरे से हंसी की आवाज़ आई तो वो अपने ख्यालों की दुनिया से वापस आ गयी ।

अगले दिन जैसे ही ‘रुचिका’ आई तो उसका चेहरा उतरा हुआ और उदास था इससे पहले कि मम्मी कुछ पूछती ‘मिली’ उसे लेकर कमरे में चली गयी तभी मम्मी भी उनके पीछे-पीछे आकर उनकी बातें सुनने लगी ‘मिली’ कह रही थी ‘रूचि’ ये क्या हाल बना रखा हैं तूने यार, क्या हुआ ? अरे, कुछ नहीं ‘मिली’ वो आज ही ‘रोमी’ से ब्रेकअप हुआ तो थोड़ा मूड अपसेट हैं लेकिन फिकर न कर कल ही नया बॉयफ्रेंड बना लूंगी कोई प्रोब्लम नहीं कई लगे पड़े लाइन में डोंट वरी ये सब बस, थोड़ी देर की बात ऐसा कहकर उसने आंख दबाई और फिर दोनों हंसने लगी और उनकी बातें सुनकर मम्मी को लगा ये आजकल की जनरेशन इसने प्रेम को मजाक बनाकर रख दिया इनको यदि लैला-मजनू, हीर-राँझा, शीरी-फ़रहाद के किस्से सुनाओ तो उनको बेवकूफ कहते जो एक के पीछे ही दीवाने रहे जबकि एक से बढ़कर एक दुनिया में भरे पड़े और वे थे कि एक के लिये जान दे दी जबकि जिंदगी ‘एक’ दूसरी तो मिलेगी नहीं पर, प्रेमी-प्रेमिका तो कई मिल सकते फिर क्यों एक पर ही मरना ?

ये नये जमाने की बातें मम्मी को समझ नहीं आती और अपने जमाने की बातें समझाने की कोशिश करे तो बच्चे ही उसे समझाकर चले जाते उन दोनों की बाते सुनकर वे चुपचाप आकर अपने काम में लग गयी तभी कानों में गाने के स्वर सुनाई पड़े...

“पहला नशा, पहला ख़ुमार... नया प्यार हैं, नया इंतज़ार...”

तो वो चिल्लाई ‘मिली’ तुम्हारा मोबाइल बज रहा उठाओ तभी भीतर से आवाज़ आई, ‘मम्मा अब, वो मेरी रिंगटोन नहीं’ तो न जाने क्यों उसे ‘रुचिका’ और ‘मिली’ के शब्दों में एक समानता नजर आई, वाकई ‘रिंगटोन’ जैसा हो गया हैं ‘इश्क़’ आजकल नया आया नहीं कि पुराना मोबाइल से आउट और इसी जमाने में ‘गरिमा’ जैसे एकाध ओल्ड मॉडल भी हैं जिन्हें लोग आउट ऑफ़ फैशन समझते क्योंकि आज के स्मार्ट युग में मोबाइल हो या प्रेमी/प्रेमिका समय के साथ बदलते रहते... उफ़, ‘प्यार’ भी अब ‘स्मार्ट’ हो गया ।           
      
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२३ जून २०१७

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