सोमवार, 26 जून 2017

सुर-२०१७-१७६ : अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस का ऐलान... नशामुक्त बने देश, हो जागरूक हर नवजवान...!!!


२६ जून का महत्व इसलिये भी बढ़ जाता हैं कि इस दिन को 'अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस' घोषित किया गया हैं जिससे कि वो युवा पीढ़ी और प्रत्येक देश के भावी कर्णधार जिन पर कि अपने देश का भविष्य निर्भर करता अपने कर्तव्य को समझे और अपने जीवन को नशे की आदत के गुलाम बनकर न बर्बाद कर दे जिस तरह से ये समस्त विश्व के युवाओं को अपने शिंकजे में ले रहा वो बेहद चिंताजनक क्योंकि यही तो सितारे जिन्हें आने वाले समय में चाँद बनकर आसमान पर चमकना हैं लेकिन वे तो नशे की गिरफ़्त में धरती पर पड़े धूल चाट रहे जबकि कहाँ तो उन्हें अपने इस दुश्मन का बेड़ा गर्क करना चाहिये था और कहाँ वे खुद ही सबसे बेख़बर न जाने किस दुनिया की सैर कर रहे ये जाने बिना कि इस वक़्त इस देश को उनकी कितनी जरूरत पर, उन्हें तो इंद्रिय सुख के आगे कुछ भी नजर न आता एक कश, एक जाम और एक सुई के आगे वे अपना सारा जीवन और जवानी बर्बाद करने तैयार उसकी इस व्यापक घेराबंदी को देखते हुए ही इस दिन को विश्वस्तर पर मनाया जाने लगा कि वे जो खुद नासमझ बने उन्हें ये अहसास दिलाया जाये कि 'नशा' महज़ 'नाश' जो कभी किसी का भला नहीं कर सकता और जिसे वे शुरुआत में तो शौक के तौर पर अपनाते वही उनके घर पर शोक की वजह बन जाता ।

‘नशे’ की ये आदत कब जानलेवा बन जाती ये उनको ही समझ नहीं आता कि सिर्फ़ मजाक-मजाक और जिज्ञासा से शुरू हुआ सिलसिला एक दिन ‘लत’ बन जाता फिर जिसके आगे न तो कुछ समझ आता और न ही वो स्थिति ही बचती कि समझकर खुद को संभाल सके तो अंतत वही अंत होता जो सबका एक दिन होना ही पर, जिस तरह से होता वो अत्यंत दुखदायी जो उससे जुड़े हर रिश्ते को गम के सागर में डूबा देता फिर भी दूसरों का ये अंजाम देखकर भी कोई भी नशे का अभ्यस्त इससे सबक नहीं लेता । दिनों-दिन जिस तरह से इस आंकड़े में बढ़ोतरी हो रही ये बेहद चिंताजनक कि इसके शिकार सर्वाधिक कमउम्र अल्प-व्यस्क होते जो अपना भला-बुरा नहीं समझते केवल दिखावे की दौड़ में खुद को दूसरों की तरह दर्शाने किसी भी हद तक जाने तैयार होते फिर चाहे वो ‘नशा’ किसी व्यसन का हो या फिर किसी से आगे बढ़ने का या किसी को नीचा दिखाने का या फिर ब्रांडेड कपड़े या लेटेस्ट गेजेट्स खरीदने का वो उसमें इस तरह से लिप्त कि उसे ही नहीं खबर कि वो ‘नशे में हैं’ । आप चाहे जिस तरफ नजर डाले आपको ऐसे अनगिनत नवजवान ‘नशेलची’ दिखाई दे जायेंगे जिनको किसी न किसी तरह का नशा जिसमें कोई भी शय शामिल हो सकती जरूरी नहीं कि वो मादक पदार्थ ही हो अब तो तकनीकी युग में इस नशे के प्रकारों में भी लगातार इज़ाफा हो रहा जिसमें तन-मन-धन से ये युवा वर्ग अपने आपको खपा रहे और वो ऊर्जा या ज्ञान जिसे देश के विकास में लगाना चाहिये उसे धुयें और जाम में उड़ा रहे हैं ।

अब तो देश के अति-शिक्षित वर्ग को एक नये ‘उन्माद’ ने अपने जाल में फंसाया हैं जिसकी वजह से यूँ लगता कि बहुत जल्द ही देश में ‘गृह-युद्ध’ की स्थिति बन सकती क्योंकि ‘इंटरनेट’ व ‘सोशल मीडिया’ जैसे साधनों ने उनको अपने इस नशे के भंवर में अपने जैसे दूसरे पढ़े-लिखे युवाओं को भी बड़ी आसानी से फंसाने के सहज-सरल माध्यम प्रदान कर दिये हैं जिनका उपयोग कर के अब वे दूर-दराज के इलाकों तक इसका प्रचार कर अन्य मजहब के लोगों की संवेदनशील भावनाओं को भड़का रहे । जी हाँ सही समझे ये नया नशा ‘मज़हबी नफ़रत फ़ैलाने का हैं’ जिसमें किसी एक धर्म को मानने वाले किसी दूसरे संप्रदाय के अनुयायी लोगों की दुखती रग पर हाथ रखते और जब वो तिलमिला कर उनकी किसी कमजोर कड़ी पर वार करता तो फिर वे दुगुने जोश में आकर कोई नया शिगुफ़ा छोड़ते और इस तरह से ‘सोशल मीडिया’ पर इनका आरोप-प्रत्यारोप का दौर चालू हो जाता जो ये साबित करता कि ये भी एक तरह का नशा ही हैं । किसी भी देश में विशेष रूप से जब वो धर्म-निरपेक्ष व सर्वधर्म समभाव पर विश्वास करने वाला हो इस तरह का ‘नशा’ सिर्फ किसी विशेष व्यक्ति या समूह ही नहीं बल्कि पूरी की पूरी कौम को ही नष्ट करने वाला परमाणु हथियार सिद्ध हो सकता तो जरूरी कि सबसे पहले इसकी रोक-थाम की व्यापक व्यवस्था की जाये अन्यथा परिणाम की हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि इस तरह के नशे का इलाज़ लगभग असंभव केवल सोच व दृष्टिकोण से ही इसे बदला जा सकता जो हर कोई नहीं कर सकता वो तो भीतर से ही पैदा होना चाहिये क्योंकि हर घर व स्कूल में बच्चों को बचपन से ही हर धर्म का सम्मान करना सिखाया जाता फिर भी न जाने कहाँ से वो ये सीख जाता तो इसका मतलब गड़बड़ कहीं आंतरिक ही हैं फिर बाहरी उपचार से कुछ भी न होगा ।

आज ‘अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस’ पर यही कहना हैं कि ‘नशा’ चाहे जो भी हो बुरा हैं उससे निज़ात पाना ही एकमात्र उपाय जिसके लिये जागरूकता जरूरी और यही इस दिवस का उद्देश्य भी तो हम सबको अपने-अपने नशे को पहचानकर उससे मुक्ति पानी होगी तभी इस दिवस की सार्थकता होगी... :) :) :) !!!
       
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२६ जून २०१७

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