गुरुवार, 1 जून 2017

सुर-२०१७-१५२ : देश-विदेश में बने दीवाने उसके... हुआ ऐसा रोशन फ़िल्मी पर्दा ‘नर्गिस’ से...!!!


सन १९४६ की बात हैं जब राज कपूर ‘आग’ फिल्म के निर्माण में जुटे थे और उसके लिये उनको एक स्टूडियो की आवश्यकता थी तो तभी उनको पता लगा कि ‘जद्दन बाई’ के पास ऐसा एक स्टूडियो हैं जैसा उनको अपनी फिल्म के लिये चाहिये तो वो उनसे मिलने उनके घर पहुंचे लेकिन उस वक़्त वे घर पर नहीं थी तो उनकी बेटी ने दरवाजा खोला जो उस वक़्त किचन में पकौड़े तल रही थी तो उसी तरह बेसन लगे हाथों से उसने द्वार खोल आंगतुक से बात की जिसके दरम्यान उनके हाथ का बेसन उनके गालों पर भी लग गया और ये दृश्य ही नहीं वो लड़की भी राज कपूर के जेहन में हूबहू इस तरह उतर गयी कि फिर वहां से कभी निकल न स्की और आज तलक भी उस लड़की के नाम के बिना राज कपूर का नाम अधुरा लगता जी हाँ वो लड़की कोई और नहीं ‘नर्गिस’ थी जिसे देखते ही राज कपूर उनके भोलेपन और मासूम अदाओं पर इस तरह रीझ गये कि उनको अपनी फिल्म में नायिका के रूप में ले लिया जिसके बाद रजत पर्दे पर ‘राज कपूर और नर्गिस’ की जोड़ी ने ऐसी धूम मचाई कि वो कालजयी बन गयी तभी तो आज भी उन्हें याद किया जाता और उन्होंने एक के बाद एक लगातार कई फिल्मों में काम किया जो सब की सब सुपर-डुपर हिट रही नर्गिस ने केवल राज कपूर ही नहीं बल्कि उस दौर के लगभग सभी नामचीन अभिनेताओं के साथ काम किया चाहे वो अशोक कुमार हो या दिलीप कुमार या देव आनंद, बलराज साहनी या फिर सुनील दत्त सबके साथ उनकी जोड़ी को पसंद किया गया और फिल्म दर फिल्म उनके अभिनय ने सबको अपना दीवाना बना लिया जिसने देश ही नहीं उसकी सीमा के बाहर भी उनके प्रशंसकों की एक बहुत बड़ी कतार लगा दी क्योंकि राज कपूर के साथ ‘आवारा’ हो या ‘सुनील दत्त’ के साथ ‘मदर इंडिया’ सबने विदेशों में भी सफलता के परचम लहराये और उनके प्रति दीवानगी का आलम तो ये था कि सोवियत रूस से ‘ओलेग स्त्रीषेनोफ़’ उनके साथ अभिनय करने आये और इस  इस तरह भारत-सोवियत संघ के सहयोग से पहली हिंदी-रुसी फिल्म ‘परदेशी’ का निर्माण हुआ जो एक साथ दो भाषाओँ ‘हिंदी’ और ‘रुसी’ में बनी थी और यही वो फिल्म थी जिसमें पहली बार ‘अलविदा’ के लिये रुसी शब्द ‘दस्वीदान्या’ इस्तेमाल किया गया था

उस दौर में इस तरह की घटना होना अपने आप में ही एक अद्भुत बात थी तो इतिहास तो बनना ही था कि भारत की ‘नर्गिस’ को उसके देश में ही नहीं परदेश में भी लोकप्रियता मिल रही थी और वहां के कलाकार उनके साथ काम करने को लालायित थे तो उसने ‘परदेशी’ जैसे फिल्म का कीर्तिमान रचा जो हिंदी फ़िल्मी इतिहास की अभुतपूर्व घटना थी जिसके जिक्र के बिना ‘नर्गिस’ की पॉपुलैरिटी का अंदाजा लगाना मुश्किल हैं कि उस समय आज की तरह फ़िल्में विदेशों में प्रदर्शित नहीं होती थी लेकिन जो फ़िल्में कालजयी होती उनकी खुशबू हर सरहद को पार दूर तक चली जाती इसलिये जब ‘मदर इंडिया’ आई तो वो पहली फिल्म थी जिसे ऑस्कर में नामांकन मिला था और नर्गिस ने एक बार पुनः इतिहास रचा था । उनके प्रशंसकों की सूची में केवल आम जनता या दर्शक नहीं बल्कि उस समय के प्रधानमंत्री तक शामिल थे क्योंकि ‘नर्गिस’ का अभिनय ही नहीं व्यक्तित्व भी इतना प्रभावशाली था कि सब उनसे आकर्षित हो जाते थे तो यही वजह कि उस वक़्त के लगभग सभी प्रतिष्ठित लोग उनके फैन होने में गौरव का अनुभव करते थे और उन्होंने अपने काम से सभी बड़े पुरस्कार चाहे वो फिल्मफेयर हो या फिर राष्ट्रीय पुरस्कार या पद्मश्री उनके नाम के साथ जुड़कर सभी सम्मानित हो गये और उनकी इस अलौकिक प्रसिद्धि का ही प्रभाव था कि उन्हें राज्यसभा में भी स्थान दिया गया ।

ऐसी बहुमुखी प्रतिभाशाली अभिनेत्री को आज उनके जन्मदिवस पर इन शब्दों के साथ ये छोटी-सी श्रद्धांजलि... :) :) :) !!!
           
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०१ जून २०१७

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