रविवार, 20 अगस्त 2017

सुर-२०१७-२३० : लघुकथा : शादी क्यों ???


दीदी, आपकी डेट ऑफ बर्थ बताओ जैसे ही ‘रिद्धिमा’ ने ये सुना अपना लिखना छोड़ चश्मा ऊपर कर ‘इशिता’ को अर्थपूर्ण नजरों से देखने लगी तो वो बोली अरे, मुझे कोई काम नहीं वो तो इस फॉर्म में भरना हैं ये कहकर उसने उनका वोटर आई.डी. में अपना नाम बदलवाने वाला आवेदन दिखाया तो उसने सहजता में कहा, लिख 30-03-70 जिसे सुन वो चौंककर बोली, क्या दीदी आप इतनी बड़ी हो लगती तो नहीं फिर आपने अब तक शादी क्यों नहीं की तो उसने हौले से उसके सर पर चपत लगाते हुए जवाब दिया पगली, तेरा सवाल ही गलत हैं अच्छा तू ही बता तेरी मम्मी, तेरी दीदी या तेरे आस-पास रहने वाली कितनी ऐसी शादीशुदा महिलायें हैं जिन्होंने खुद शादी की ? उसकी बात सुन ‘इशिता’ सोचने लगी... 

तभी रिद्धि बोली, अपने यहां सबकी शादी उनके माता-पिता तय करते फिर भी लोग लड़कियों से यही सवाल करते कि, तुमने शादी क्यों नहीं की? बताओ कोई क्या जवाब दे इसका और जो लड़की अपनी मनमर्जी से ब्याह कर लेती उसे ही कौन-सा जीने देता ये समाज बात-बात पर ताने मारता और ज्यादा दूर क्यों जा रही वो अपने गांव के पंडितजी की बेटी उसने नहीं कि थी भागकर शादी एक विधर्मी से तो क्या किया लोगों ने उसके साथ दोनों को मार डाला

फिर भी ये सवाल उम्मीद जगाता कि कोई तो ये सोचता कि ये जीवन हमने खुद चुना वैसे भी दूसरों की पसन्द बेमरजी से ढोने से तो यूं सिंगल रहना अच्छा हैं तुझे पता कुछ शादीशुदा लोग तो जलते भी की ये अपनी ज़िंदगी अपनी तरह से जी रही यार, जिसको जो समझना समझे हम तो भई जैसे हैं वैसे ही प्रसन्न हैं और अब तेरे सवाल का भी जवाब दे दूँ कि मैंने क्यों शादी नहीं की क्योंकि मुझे सचमुच ही नहीं करनी थी और कोई वजह नहीं और एक बात आगे से ध्यान रखियो किसी लड़की से ये सवाल न करना समझी और दोनों हंसने लगी ।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२० अगस्त २०१७


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