मंगलवार, 8 अगस्त 2017

सुर-२०१७-२१८ : ‘व्हाट्स एप्प’ पर साहित्य का समूह इक निराला... नाम जिसका ‘छंदमुक्त पाठशाला’...!!!


'छंदमुक्त पाठशाला' साहित्य सृजन की एक ऐसी बेमिसाल संस्था जिसका अस्तित्व यूं तो सूक्ष्म तरंगों पर विद्यमान लेकिन उसका असर ऐसा कि सभी गतिविधियां जमीन व कलम से जुड़ी तो हवामहल की तरह कोरी कल्पना नहीं बल्कि आज के स्मार्ट युग में तकनीक की बढ़ती रफ्तार से कदम मिलाने कलमकारों को भी वही माध्यम अपनाना पड़ता जो कि समय की मांग होती तो अब कृतित्व कागजों की जगह लैपटॉप, मोबाइल और टेबलेट पर की-बोर्ड से रचा जा रहा और केवल डायरी या अखबार या पत्रिका के पन्नों पर अंकित होकर सीमित दायरे में नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व मे पढा जा रहा तो वैश्वीकरण के इस दौर में एप्प्स की भीड़-भाड़ भरे माहौल में जब 'व्हाट्स एप्प' ने मोबाइल के स्क्रीन पर दस्तक दी और भारतीय लोग उसे समझने में ही व्यस्त थे उस समय 7 अगस्त 2014 को मध्यप्रदेश राज्य के 'सागर' जिले के एक कोने में बैठे रचनात्मक कवि 'अखिल जैन' के मन में ये विचार कौंधा कि क्यों न इस एप्पलीकेशन का प्रयोग रचनाधर्मिता के लिए किया जाये तो इस तरह उस ख्याल को मूर्त रूप देने के लिये बनाया गया 'छंदमुक्त पाठशाला' नाम का प्रथम साहित्यिक समूह

जिसे ये नाम देने के पीछे उनकी मंशा यही थी कि छंदमुक्त जो कि सोशल मीडिया के जमाने मे अधिक लोकप्रिय साहित्यिक विधा परंतु लोग इसके वास्तविक स्वरूप व आवश्यक अंगों से भलीभांति परिचित नहीं तो उनको जानकारी भी दी जाए और जो इसके जानकर उनसे कुछ सीखा भी जाये तो बस, नींव पड़ते ही मुख्य आधारस्तम्भ के रूप में एडमिन जी ने अशोक अरोरा जी(जो विगत दिनों हम सबको छोड़कर चले गए), गोबिन्द चांदना जी, नीरजा मेहता और राखी जी को जोड़ा जो पाठशाला के चार मज़बूत ख़म्बों की तरह स्थापित हुये और पाठशाला को साकार किया उसके बाद इसकी के नियमावली बनाई गई कि प्रातः 8 बजे सरस्वती वंदना से दिवस प्रभारी इसके पट खोलेगा और उसके बाद किसी एक विषय पर सभी रात 8 बजे तक लेखन कार्य करेंगे जिसके बीच में किसी तरह के मैसेज या पिक्स का व्यवधान न डाला जाएगा और 8 बजे के बाद प्रस्तुत रचनाओं पर एक संक्षिप्त चर्चा या उनकी समीक्षा पेश की जायेगी जिससे कि रचनाकारों का न सिर्फ उत्साहवर्धन हो बल्कि उन्हें कुछ सीखने और अपडेट होने का अवसर भी मिले तो इस तरह चार लोगों से शुरू हुई इस पाठशाला में बाद में अन्य सदस्यों को भी जोड़कर परिवार का विस्तार किया गया तथा सदस्यों की पटल के प्रति रोचकता व रुझान कायम रखने के लिए अनेक गतिविधियों का आयोजन भी किया गया जिससे सबका आपस मे परिचय बढ़े तथा कुछ नया सीखने को भी मिले इसके साथ ही सदस्यों के जन्मदिन, सालगिरह आदि के लिए ऑनलाइन पार्टियों, कवि-सम्मेलन आदि का भी आयोजन करने के अलावा महान लेखकों की जयंती, पुण्यतिथि आदि को मनाने की परंपरा भी बनाई गई जिससे कि वरिष्ठजनों का आशीष व मार्गदर्शन मिलता रहे

इस तरह जब एक वर्ष पूर्ण हो गये तो प्रथम सालगिरह के अवसर पर समूह के पहले सयुंक्त काव्य-संकलन को प्रकाशित करने की योजना बनी जिसे अमली जामा पहनाया ‘उत्कर्ष प्रकाशन’ मेरठ ने तो उसका अभूतपूर्व विमोचन 14 सितंबर हिंदी दिवस के दिन ‘मौन तीर्थ’, उज्जैन में ‘संत श्री सुमन भाई जी मानस भूषण’ के करकमलों द्वारा समस्त सदस्यों की उपस्थिति में हुआ और इस ऐतिहासिक समारोह में विमोचित किताब 'भावों की हाला' ने न केवल व्हाट्स एप्प के इतिहास में पहली पुस्तक होने का गौरव प्राप्त किया बल्कि सभी सदस्यों को भी आभासी दुनिया से वास्तविक धरातल पर मिलने का अवसर प्रदान किया फिर तो मानो समूह को पंख लग गये और दूसरे वर्ष ‘स्टोरी मिरर’ उसके लिए किसी देवदूत की तरह आया जिसने उसकी द्वितीय सालगिरह पर उसके दूसरे काव्य संकलन 'शब्दों का प्याला' को न केवल प्रकाशित करने का जिम्मा लिया बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में उसके भव्य विमोचन का भी प्रबंध किया

इस ७ अगस्त को इस समूह ने अपने शानदार तीन वर्ष पुरे करने के साथ ही सृजन में भी एक न्य कीर्तिमान रच डाला हैं कि इस पटल पर इन तीन सालों में समस्त सदस्यों द्वारा लगभग १ लाख छंदमुक्त कविताओं की रचना की जा चुकी हैं जो ये दर्शाता हैं कि सभी सदस्य इसके पटल के प्रति न केवल समर्पित हैं बल्कि इसकी उन्नति के लिये भी सतत प्रयासरत हैं और इसकी तीसरी वर्षगांठ पर तृतीय पुस्तक की योजना भी बन चुकी हैं जिसे शीघ्र ही मूर्त रूप दिया जाएगा तो सभी सदस्यों और पटल एडमिन को समूह की सालगिरह मुबारक... :) :) :) !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०८ अगस्त २०१७

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