बुधवार, 9 अगस्त 2017

सुर-२०१७-२०९ : ‘अगस्त क्रांति दिवस’ बना आज़ादी का आख़िरी विकल्प...!!!


९ अगस्त १९४२ को मुंबई के एक पार्क जिसे अब ‘अगस्त क्रांति मैदान’ के नाम से जाना जाता हैं में वो ऐतिहासिक घटना घटित हुई जिसने कि फिरंगियों को भारत से निकलने को मजबूर कर दिया कि आज से ७५ साल पहले राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने अंग्रेजों को अंतिम चेतवानी दे दी कि बस, बहुत हो गया... अब अपना बोरिया बिस्तर बांधो और यहाँ से निकल लो कि सोने की चिड़िया कहलाने वाले हमारे देश को तुमने जितना लूटना था लूटकर खोखला कर दिया साथ ही हमारी आपसी एकता को भी भंग कर दिया ऐसे में यदि हमने अपनी जमीन से तुम्हें नेस्तनाबूद नहीं किया तो हमारी आने वाली पीढियां हमें माफ़ नहीं करेंगी कि भारतमाता के इतने वीर सपूतों की बलि चढ़ गयी लेकिन ‘स्वतंत्रता’ अब भी महज़ कल्पना ही रही 

‘भारत छोडो आंदोलन’ वास्तव में भारतीयों का अंग्रजों के खिलाफ एकजुट होकर किया जाने वाला अंतिम प्रयास था और आज़ादी प्राप्त करने का भी आखिरी विकल्प भी कि अब सबने ठान ही लिया था कि चाहे जो भी हो ‘अंग्रेजों’ को तो इस भारतभूमि से खदेड़ना ही हैं तो आज के दिन सबने ये संकल्प लिया कि अब वे चाहे जो हो न तो पीछे हटेंगे और न ही किसी भी खतरे से डरेंगे कि गुलामी से बड़ी कोई जिल्लत नहीं तो इससे बुरा क्या होगा भला इस एक सोच ने सबको हिम्मत दी जिसका परिणाम कि इसके बाद १५ अगस्त १९४७ को बोले तो तीन साल बाद ही फिरंगी सरकार को हमारा हिंदुस्तान हमारे हाथों में सौंपकर वापस अपने देश जाना पड़ा 

जिसने ये साबित किया कि जब हर भय को त्यागकर निडरता के साथ दुश्मन का सामना किया जाता हैं तब उसकी ताकत का सही अंदाज़ा होता जिसे अक्सर हम खुद से ज्यादा आंककर प्रयत्न करने से डरते हैं पर, जब सर पर कफ़न बंधकर मौत का सामना करने भी तैयार हो जाते हैं तो फिर पाते हैं कि जिसे हम अपने से अधिक शक्तिशाली समझ अब तक उसके सामने आने से घबराते रहे वो असलियत में उतना ताकतवर नहीं तो हमारे सतत प्रयासों का नतीजा कि हमने असंभव को भी संभव कर दिखाया और आज उस दिन को याद कर उसकी हीरक जयंती मना रहे हैं जिसने हमें आज़ादी का तोहफा दिया... सबको इस दिन की अनंत मुबारकबाद... इंकलाब जिंदाबाद... :) !!!     

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०९ अगस्त २०१७


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