शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

सुर-२०१७-२३५ : हर्षोल्लास से मनाये गणेशोत्सव... आस्था-विश्वास का दस दिवसीय पर्व...!!!



आज नन्हा ‘आरुष’ सुबह से ही बड़ा खुश था उसके फ्रेंड ‘बाल गणेशा’ का हेप्पी बर्थ डे जो था तो जल्दी से उठकर बिना किसी के कहे ही वो नहा-धोकर तैयार हो चुका था कि थोड़ी देर बाद पापा के साथ बाज़ार जाकर गणपति की एक मूर्ति लायेगा और दस दिन तक उनकी पूजा करेगा और हर दिन अलग-अलग मिठाई खायेगा जो भी उसके दोस्त ‘गन्नू’ को पसंद हैं तो उसका जोश देखकर उसके मम्मी-पापा भी उसकी ख़ुशी में खुश दिखाई दे रहे थे उसने तो रात को उनको स्थापित करने के लिये पूजा घर के एक कोने में अपनी स्टडी टेबल लगाकर रंगीन पेपर्स, लट्टू एवं लाइट्स से बड़ी सुंदर सजावट कर रखी थी कि जब वो उनकी मूर्ति लेकर आयेगा तो उन्हें इस जगह पर बिठायेगा उसके इस काम में मम्मा ने भी उसकी मदद की थी जिससे कि उसका उत्साह दुगुना-चौगुना बढ़ गया था जब वो मार्किट गया तो उसे वहां तरह-तरह की सजी-संवरी मूर्तियाँ दिखाई दी जिन्हें देखकर उसकी आँखों में वो चमक नहीं दिखाई दी जो उसके पापा देखना चाहते थे तो उन्होंने उसे हर दुकान ले जाकर दिखाई पर, उसे किस तरह कि चाहिये थी ये उन्हें समझ नहीं आ रहा था तभी उसकी नज़र एक ठेले वाले पर पड़ी जिसके पास एकदम साधारण बिना रंगी मिट्टी की मूर्तियाँ थी जिसे देखकर वो उछल पड़ा कि यही तो वो ढूंढ रहा था और उसने झट एक मूर्ति ले ली

ये देखकर उसके पापा बहुत खुश हुये कि उनके बेटे को उत्सव मनाने के साथ-साथ पर्यावरण की भी उतनी ही परवाह हैं इस बात ने उन्हें निश्चिंतता से भर दिया कि आज की पीढ़ी केवल मौज-मस्ती करना ही नहीं जानती बल्कि अपनी संस्कृति और परंपरा का निर्वहन करने में भी पारंगत और इसके अलावा वो अपने आस-पास के वातावरण के प्रति भी उतनी ही सजग हैं यदि उसे सही परवरिश और सही मार्गदर्शन दिया जाये तो पुरातन व नवीन रवायतों का एक संतुलित उदाहरण पेश कर सकती हैं । इस जनरेशन की सबसे बढिया बात यह हैं कि इसे अधिक समझाना नहीं पड़ता अत्याधुनिक तकनीक कहे या कंप्यूटर युग का कमाल कि वो इशारों को भी समझ लेती हैं तो ऐसे में अगर उनको इन माध्यमों से ही सही शिक्षा या संदेश दिया जाये तो गजब की पौध तैयार हो सकती हैं जिसकी दिमागी काबिलियत का मुकाबला कोई भी नहीं कर पायेगा लेकिन जिसे देखो वही अपने बच्चों को मोबाइल या लैपटॉप तो दे रहा लेकिन उसका उपयोग किस तरह करना या उस पर क्या देखना ये नहीं बता रहा तो अपनी ना-समझी से वो दिग्भ्रमित हो रही और ऐसे में जो उसकी बुद्धि से उसे समझ आ जाता वो उसे ही सही समझने लगती जबकि इन गेजेट्स की देते समय यदि माता-पिता थोड़ा-सा समय भी उन्हें दे दे तो सोने पर सुहागा हो जाये और बच्चे ‘ब्लू-व्हेल’ जैसे खतरनाक गेम्स के चक्कर में अपनी अनमोल जिंदगी न गंवाये ।

उसे आज बेहद ही ख़ुशी हो रही थी कि उन दोनों ने मिलकर अपने बेटे ‘आरुष’ को बचपन से अपने देश के गौरवशाली इतिहास से परिचित करवाया ताकि गलत जानकारियों से उसकी भी गलत मानसिकता निर्मित न हो जाये और इसके साथ ही उन दोनों ने उसे अपने देश की विविध विशेषताओं व थोड़ी सतरंगी तो थोड़ी अतरंगी परम्पराओं का भी ज्ञान दिया तो आज उसके जेहन में किसी तरह का कोई पूर्वाग्रह या कोई भ्रम नहीं हैं वो यदि दोस्तों के साथ ‘फ्रेंडशिप डे’ मनाता हैं तो अपने पर्वों पर भी उतनी ही धूम मचाता हैं । इस सोच ने उसको सुकून दिया और उसने घर जाकर धूमधाम से गणेश प्रतिमा की स्थापना कर सबको बधाइयाँ भी दी... :) :) :) !!!
            
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२५ अगस्त २०१७

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