शनिवार, 5 अगस्त 2017

सुर-२०१७-२१५ : ‘आंसू’ बनो तो... ऐसा बनना...!!!


बह जाना
किसी की आँखों से
या बहाना किसी की आँखों को
बनकर आँसू...

दोनों में
बहुत फर्क होता हैं

जब आपका जाना
किसी को इतना दर्द दे जाये
कि वो आँसू रोक न पाये
तो समझो कि
किसी के दिल में आप
थोड़ी सी सही जगह तो बना पाये
जीते जी न सही मरकर तो
अपने वज़ूद का उस ग़ाफ़िल को
अहसास करा पाये

मगर,
जब आपकी वजह से
किसी की आँख नम हो जाये तो
उस दर्द का बोझ उठा पाना
आसान नहीं होता
कि कभी आपकी बेरुखी
तो कभी आपकी दिल्लगी और
कभी आपका रुखा व्यवहार
किसी के कोमल हृदय में
कांटे सा चुभ जाता
फिर उसका तीखापन एक दिन
आपको भी चुभन दे जाता

गर,
बनना ही हैं आँसू तो
फिर सुनो ख़ुशी का बनना
हंसते-हंसते आँखों से निकलना
मन को भी हल्का कर जाना ।। 
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०५ अगस्त २०१७

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