सावन का आखिरी सोमवार और पूर्णिमा के साथ ही
समापन इस पावन मास का जो अपने साथ लेकर आता रिश्तों का स्नेहिल पर्व ‘रक्षा-बंधन’ जिसमें
नेह के दो तार से किसी को भी जीवन भर के लिये एक रिश्ते में बाँध लिया जाता कि इन
धागों को ‘रक्षा-सूत्र’ कहा जाता जो सिर्फ भाई-बहन ही नहीं किसी भी पवित्र रिश्ते
को इस तरह से एक बंधन में बाँध देता कि फिर उसे तोड़ना आसान नहीं होता बशर्ते कि उस
डोर से जुड़ने वाला उसे उतनी ही तवज्जो दे तो फिर हर साल भले ही कलाई पर ये न बाँधा
जाये मगर, एक बार जो रिश्ते की गिरह जुड़ गयी तो फिर उसका कसाव हमेशा ही महसूस होता
कि वैसे तो ये माना जाता कि गाँठ पड़ जाये तो रिश्ते कमजोर हो जाते लेकिन कुछ
रिश्ते ऐसे होते जो गाँठ लगाकर ही जोड़े जाते ऐसे में हमारा दायित्व होता कि उनके
बीच की ये गाँठ कभी ढीली होने पाये तो साल दर साल उसे मजबूत बनाने के लिये ये पर्व
मनाते जो कहने को तो कच्चे धागों से बनाया जाता लेकिन रिश्ता बड़ा पक्का बनाता जो
आपसी गलतफ़हमी या छोटे-मोटे झगड़ों से भी नहीं टूटता लेकिन कभी दिलों में दरार आ
जाये तो फिर भले गाँठ कितनी मजबूत हो टूट ही जाती तो अमूमन जो इसकी महत्ता समझते
वे केवल औपचारिकता या नाम के रिश्ते को इस बंधन से नहीं जोड़ते सिर्फ़ उनको ही राखी
बांधते जिनसे उनका जीवन भर का रिश्ता होता कि किसी को भी राखी बांधना तो बड़ा आसान लेकिन
उसके बाद बनने वाले रिश्ते को निभाना बेहद कठिन तो खेल में या भावुकता में आकर इसे
बांधने की बजाय बिना रिश्ते के रहना अच्छा और इस तरह की ईमानदार सोच रखने से ही ये
पावन बना रहता हैं ।
प्राचीन काल से पौराणिक कथाओं ही नहीं ऐतिहासिक
प्रसंगों में भी इसका उल्लेख मिलता हैं जो ये दर्शाता कि किस तरह सहायता पाने या
रक्षा की आवश्यकता पड़ने पर कभी ‘राखी’ कहलाये जाने वाले धागों तो कभी उसके स्थान
पर जो भी उपलब्ध हैं चाहे फिर आँचल का छोर हो या कोई किनारी उसे ही प्रतीक रूप में
भेजकर कई महान चरित्रों ने इसे गरिमा प्रदान की हैं तभी तो आज भी सरहद पर बैठे भाई
हो या दूर कोई अपना उसकी सुरक्षा हेतु उसकी कलाई पर इसे बांधकर ईश्वर से उसकी
कुशल-क्षेम की प्रार्थना की जाती... हम सब भी सभी रिश्तों की प्रगाढ़ता हेतु हृदय
से शुभकामना प्रेषित करें और इस तरह सबके साथ मिलकर इस पर्व को मनाये... तो इसकी
खुशियाँ सहस्त्र गुनी हो जायेगी... :) :) :) !!!
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© ® सुश्री
इंदु सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०७ अगस्त २०१७
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