सोमवार, 11 सितंबर 2017

सुर-२०१७-२५१ : ज़िंदगी अपने गमों के कैदखाने में… बंद होकर गुज़ारने के लिये नहीं हैं…!!!




'प्यार'
किसी के लिये
ज़िंदगी का इक हिस्सा
तो किसी के लिये
पूरी ज़िंदगी...

हिस्से में
जीवन जीने वाले
खुश रहते हैं
हर एक हिस्से को
अपना आप दे पाते हैं
हर लम्हे को
उस पल पूरी तरह जी पाते हैं
जब जिस पल जिसके साथ होते हैं
उस पल उसी के ही रहते हैं
प्यार के होकर भी
निर्लिप्त रहते उस बंधन से
जीवन को संपूर्णता से जी पाते हैं
हर किसी के हो पाते हैं
गर, निज स्वार्थ से परे होकर
केवल कोई इक नहीं
जितने भी रिश्ते बनाते हैं
सबको समय दे पाते हैं
चांद की तरह
सबको खुशियां दे पाते हैं ।

पूरा जीवन
सिर्फ प्रेम को देने वाले
कभी-कभार ही
पूर्ण रूप से खुश हो पाते हैं
हर एक लम्हे को
उसमें डूबकर जी पाते हैं
कि उनका तन
कहीं पर भी लेकिन मन
हमेशा कहीं और ही होता हैं
ख्यालों में एक ही ख्याल
बार-बार लगातार
उमड़ता-घुमड़ता रहता हैं
सोच का केंद्रबिंदु
एक ही व्यक्ति रह जाता हैं
बाकी गौण होकर
आस-पास ग्रहों की भांति
चक्कर लगाते हैं
और 'पृथ्वी' वो तो
बस, अपने 'सूरज' को ही
ताकती रहती हैं
ताउम्र उसके इर्द-गिर्द ही
खुद को खोजती हैं
जो प्यार के हो गये एक बार
वो फिर किसी के नहीं हो पाते हैं ।।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१० सितंबर २०१७

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