किसी देश की सभ्यता-संस्कृति में उसकी ऐतिहासिक
इमारतों और उन कलाकृतियों का भी योगदान होता हैं जिनसे उसकी विरासत समृद्ध होती
हैं जो उसके गौरवशाली इतिहास में एक अलग अध्याय जोड़ती हैं लेकिन, इस अद्भुत कारीगरी
में जिसका योगदान होता हैं उसे अक्सर भूला दिया जाता हैं जबकि उसकी बौद्धिक क्षमता
के बिना इन सबको वास्तविकता में साकार कर पाना संभव नहीं होता कि हर एक कल्पना को
हक़ीकत में बदलने से पहले उसकी जेहनी काबिलियत के दम पर रेखाओं के माध्यम से कागज़
पर आकर लेना पड़ता तब कहीं जाकर वो अपने उस स्वरुप में बदल पाती जिसका सपना किसी
सौदागर ने देखा था परंतु उसे किस तरह से पूरा किया जाये ये नहीं पता तो उसके उस
ख़्वाब को सच करने में साथ दिया एक ‘अभियंता’ ने जिसके आंकलन के बिना वो हूबहू उस
सांचे में नहीं ढल पाती जिसक तसव्वुर उसे बैचन किये हुआ था ।
ये ‘अभियंता’ ही हैं जो अपनी विलक्षन प्रतिभा से
हर नामुमकिन को मुमकिन कर देता फिर चाहे वो किसी बिल्डिंग का नक्शा हो या फिर चाहे
किसी चार की डिजाईन या फिर किसी यंत्र का विधुत परिपथ हर एक अभूतपूर्व भवन, हर एक
बेहतरीन मशीन और हर एक वाहन उसकी दिमागी कसरत से ही अपने असली स्वरुप को प्राप्त
कर पाता तो फिर ऐसे अद्भुत कारीगरों को क्यों न आज बधाई दी जाये उनका शुक्रिया अदा
किया जाये कि उन्होंने हमारे देश को इतना सुंदर बनाया यहाँ इतने अनोखे दर्शनीय बनाये...
:) :) :) !!!
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© ® सुश्री
इंदु सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१५ सितंबर २०१७
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