मंगलवार, 19 सितंबर 2017

सुर-२०१७-२६० : ‘सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या’... सभी पूर्वजों के श्राद्ध का दिन महालया...!!!


पितामह-मातामह, दादा-दादी, नाना-नानी, माता-पिता... ये एक लंबी श्रृंखला जिसमें भी न जाने कितने पितर शामिल इनमें से किसी को हमने देखा तो किसी को नहीं, किसी के नाम जानते तो किसी के नहीं और कितने तो ऐसे जिनको हम इतने पीछे छोड़कर आ चुके कि उनका कोई सिरा भी हम तक शेष नहीं फिर भी हम ये जानते कि हमारे माता-पिता के यदि कोई जनक थे तो उनके भी कोई न कोई जन्मदाता जरुर थे और यही वो दिन जब हम उनका स्मरण करके उन सबके प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकते इसलिये इसे ‘सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या’ कहा जाता जब हम अपने सभी अग्रजों को जिनकी हमें तिथि या नाम भी नहीं पता उनके लिये भी हम अपने मनोभाव को समर्पित कर सकते...

आज अमावस्या की रात हमारे सभी पूर्वज अदृश्य रूप में धरती पर आते और हम पर आशीषों की बरसात कर वापस उस अज्ञातलोक में चले जाते इसलिये हम इस दिन अपने सभी पितरों से जिनकी हमें याद हैं या जिनकी याद नहीं हैं या जिनका हमने श्राद्ध किया या नहीं किया उनका ध्यान कर अपनी गलतियों की क्षमा मांगते हुये जो भी हमसे बने और जो भी हम कर सकते उतना ही श्रद्धा भाव से कर दे तो वे उसे ही प्रेम से ग्रहण से कर लेते तो ये हमारा फर्ज़ कि हम पूरे पक्ष भर नियम सहित अपने आत्मीयजनों के लिये पुष्पार्पण या तर्पण न कर सके तो कम से कम आज तो उनके निमित्त भोजन या कोई भी वस्तु किसी जरूरतमंद को दान कर दे तो इतने भर से उनकी आत्मा को परम शांति प्राप्त होगी और ये महज़ आज ही नहीं जीवन भर हम अपने नेक कामों के जरिये कर सकते...              

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१९ सितंबर २०१७

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