गुरुवार, 7 सितंबर 2017

सुर-२०१७-२४८ : लघुकथा : ‘टाइमपास प्यार’ !!!



‘मोहित’ की कार जैसी ही ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी उसने मोबाइल चेक किया तो उसमें ‘रूहिना’ के कई मेसेजस दिखाई दिए तो मुस्कुराते हुए उसने उन्हें पढ़ा और झट एक स्माइली भेज दी उतने में ही रेड लाइट होने पर उसने गाड़ी आगे बढ़ा दी और ऑफिस पहुंचकर काम में जुट गया फिर जैसे ही लंच टाइम हुआ उसने फिर से अपना मोबाइल उठाया तो ‘रुहिना’ के फिर से दो-तीन संदेश और गुस्से वाली इमोजी उसे मुंह चिढ़ाती नजर आई जिसे देखकर उसने झट से एक प्यार भरा सांग भेजकर उस मूड को बदलने की इक चेष्टा की जो हर बार की तरह सफल नहीं रही तो उसने जल्दी से लंच खत्म कर उसे कॉल लगाकर कुछ अपनी व्यस्तता तो कुछ अपनी मजबूरियों का हवाला देकर जैसे-तैसे उसे राजी किया और वापस काम पर लग गया शाम को घर आकर दोस्तों के साथ पार्टी में चला गया जहाँ बीच-बीच में ‘रुहिना’ से बात करता रहा फिर रात को सोने से पहले थोड़ी-सी बात कर सो गया और सुबह देर से नींद खुली तो जल्दी-जल्दी रेडी होकर ब्रेकफास्ट किया तो भाभी ने लंच-बॉक्स थमाते हुए छेड़ा, क्या बात हैं देवरजी, आजकल रोज लेट उठते तो उनकी बात को अनसुना करता वो झटपट ऑफिस को भागा और फिर ट्रैफिक जैम में फंसा तो समय का सदुपयोग करने ‘रुहिना’ से चैटिंग करने लगा ऑफिस जाकर पता चला कि उसे प्रोजेक्ट में लीडर के रूप में सेलेक्ट किया गया हैं और केवल एक सप्ताह में इसे पूरा कर के देना हैं तो उस सप्ताह वो इतना व्यस्त रहा कि कभी एकाध बार ही ‘रुहिना’ से बात कर पाया कि प्रोजेक्ट ज्यादा जरूरी था इस वजह से वो नाराज़ हो गयी उसने सोचा हर बार की तरह वो मान जायेगी तो उसे सीरियसली न लेकर ध्यान न दिया पर, जब फ्री होकर मेसेज व कॉल किये और लगातार दो-तीन दिन तक कोई रेस्पोंस न मिला तो बैचेन होकर उसकी सहेली को फोन लगाया तो उसने रोते हुये बताया कि वो उसे लेकर बेहद सिरियस थी और उसकी बेरुखी सहन न कर पाने से उसकी तबियत बिगड़ती गयी क्योंकि वो समझ नहीं पा रही थी कि उसकी तड़फ का असर तुम पर क्यों नहीं हो  रहा तो हद से ज्यादा सोचने से उसके दिमाग की नस फट गयी और हेमरेज होने से उसकी डेथ हो गयी ये सुनकर हाथ से मोबाइल छूटा तो फिर उसे उठाने की उसकी हिम्मत न हुई

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०७ सितंबर २०१७

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