शनिवार, 25 नवंबर 2017

सुर-२०१७-३३६ : कितना सार्थक हैं ये दिवस... ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ !!!



25 नवंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है जिसका चयन वर्ष 1981 में ‘संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा’ में किया गया तथा 1999 में इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया गया । इस तारीख़ का चयन इस लिए किया गया कि इस दिन डोमेनिकन गणराज्य की तीन सक्रिय महिला कार्यकर्ताओं की बड़ी ही निर्दयता से हत्या कर दी गयी थी । अब प्रश्न यह उठता है कि इतने सालों से इसे मना रहे तो क्या अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाने से महिलाओं के विरुद्ध व्यापक व व्यवस्थित हिंसा समाप्त हो गयी ?

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कभी-कभी सोचती हूँ कि,
इस ‘विमेन लिबरेशन’ के नारों
अनगिनत नारीवादी संगठनों और
उनके ढेरों आंदोलनों
दुनिया में मनाये जाने वाले
विविध नारी केंद्रित आयोजनों व विभिन्न दिनों से
आखिर, ‘नारी’ ने पाया क्या ???
.....
बेशक, वो स्वतंत्र हैं
मगर, सोचो तो लगता क्या वाकई ?
आज भी उसे देह से इतर
एक इंसान कितने लोग समझते हैं
कितने लोग उसकी मर्जी की परवाह करते हैं ?
.....

जब भी जिसे जहाँ एक मौका मिले
वो हाथ बढ़ाने से जरा-भी नहीं चूकता हैं
अब तो उसके बाहर निकलने और
हर जगह आने-जाने से
वो अधिक सुलभ व सहज हो गयी हैं
हर जगह, हर क्षेत्र में उसकी उपस्थिति
उसकी काम्याबी ही नहीं
उसे आसानी से पा लेने की भी
एक वजह बन गयी हैं
.....

औरत, जो खुली हवा में
हाथ फैलाकर, आँख बंद कर के
थोड़ी-सी चैन की साँस अपनी इच्छा से लेने में ही
अपनी उपलब्धि समझती हैं
वहीं ‘मर्द’ उसे एक अवसर समझ
झट से वार कर देता हैं
उसकी मासूमियत, नासमझी का
वो हर हाल में बेजा फ़ायदा उठाता हैं
.....

थोड़ा-सा कोना
सिर्फ अपना पाकर
वो सोचती हैं कि,
उसने सारा जग पा लिया  
जबकि, पुरुष के लिये आज तलक भी
सिर्फ़, औरत पर जीत हासिल करना मात्र ही
‘विश्व-विजय’ करना हैं
.....

और, औरत...
ये समझा नहीं पाई कि
उसके लिये महज़
अपनी काबिलियत से कुछ पाना
खुद को साबित करना ही
उसकी संपूर्ण दुनिया को ख़ुशी से भर देता
और उसका ये छोटा-सा कदम ही
आदमी की दुनिया में तूफ़ान मचा देता हैं  
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कुछ चिंतन मनन करने से हमें पता चलता है कि महिलाओं के विरुद्ध यौन उत्पीड़न, फब्तियां कसने, छेड़खानी, वैश्यावृत्ति, गर्भधारण के लिए विवश करना, महिलाओं और लड़कियों को ख़रीदना और बेचना, युद्ध से उत्पन्न हिंसक व्यवहार और जेलों में भीषण यातनाओं का क्रम अभी भी महिलाओं के विरुद्ध जारी है और इसमें कमी होने के बजाए वृद्धि हो रही है।
 
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२० नवंबर २०१७

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