मंगलवार, 28 नवंबर 2017

सुर-२०१७-३३९ : इतना ही बहुत हैं...!!!



मिलते नहीं
दरिया के किनारे
पर, सदा चलते
साथ-साथ
एक दूजे के सहारे
हर राह, हर पड़ाव पर
इस आस में कि
कहीं तो आयेगी कोई
संकरी गली
जहां बढ़ाकर हाथ
छू लेंगे परस्पर
ये भी न हुआ तो
कोई गम नहीं
नजदीकी का अहसास ही
कोई कम तो नहीं
जब मिलन न लिखा हो
तकदीर के पन्नों पर
तो इतना आसरा ही बहुत हैं
दुनिया में जीने के लिये
कि इक सुकून तो
दिल को मिलता
आस-पास रहने का
आमने-सामने होने का
कम से कम
इतना ही हो जाये तो
हर एक तूफान को हंसकर
पार किया जा सकता हैं
सच...!!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२८ नवंबर २०१७

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