रविवार, 26 नवंबर 2017

सुर-२०१७-३३७ : २६/११ एक ऐसी तारीख... दर्ज जिसमें उजाले संग कालिख़...!!!


"हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की और एकता अखंडता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प हो कर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० "मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हज़ार छह विक्रमी) को एतद संविधान को अंगीकृत, अधिनियिमत और आत्मार्पित करते हैं"

--- ‘संविधान की प्रस्तावना’

‘२६-११-१९४९ :’
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एक ऐसा ऐतिहासिक और अभूतपूर्व दिवस जिसने भारत देश के नागरिकों को ‘संविधान’ की अनुपम सौगात दी जो एक ऐसा दस्तावेज जिसमें देश की गणतांत्रिक व्यवस्था और उसे सुचारू रूप से संचालित करने हेतु समस्त नियमों का समावेश किया गया हैं इस तरह इसने इस देश में रहने वाले समस्त देशवासियों को अपने अधिकारों से ही संपन्न नहीं किया बल्कि कर्तव्यों की जिम्मेदारी भरी पोटली भी थमाई ये और बात कि लोगों को अधिकारों की स्वतंत्रता ही अधिक भाई पर, जिनको अपने वतन से प्रेम और जो इसके विकास हेतु योगदान देना चाहते वे अधिकार व कर्तव्य के मध्य संतुलन साधकर जीवन में अपने लक्ष्य का निर्धारण करते हैं देश की आज़ादी के बाद इसकी आवश्यकता महसूस की हई ताकि इतने विशाल भूखंड को सुचारू रूप से संगठित कर उसका सुनियोजित तरीके से संचालन किया जा सके तो ऐसे में ‘डॉ भीमराव अम्बेडकर’ को इस कार्य हेतु नियुक्त्त प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाकर ये दायित्व सौंपा गया तो उन्होंने अपने दल के सदस्यों के साथ मिलकर २ साल, ११ महीने और १८ दिन में इसे पूर्ण रूप से तैयार किया और आज ही के दिन उसे स्वीकृति प्रदान की गयी तथा २५ जनवरी १९५० से यह व्यवहार में लाया गया यही वजह कि आज के दिन को ‘राष्ट्रीय संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता हैं ये तो आज की दिनांक का एक उजियारा पक्ष हैं जो हमें अपने संविधान के प्रति अपने मनोभावों को प्रकट करने का अवसर प्रदान करता हैं लेकिन इसी के साथ एक ऐसी घटना का भी जुड़ाव हो गया जो संविधान की आत्मा को झकझोरती और मानवीयता को दहलाने वाली हैं

‘२६-११-२००८ :’
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‘आतंकवाद’ सिर्फ हमारे देश ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लिये खतरे की घंटी और इंसानियत के नाम पर काला धब्बा हैं जिसकी वजह से निर्दोष, मासूम लोग असमय ही अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते पर, उसके बाद भी इसकी खून की प्यास नहीं बुझती बल्कि और बढ़ती जाती जिसका नतीजा कि आये दिन ऐसी घटनाएं कहीं न कहीं होती ही रहती और मानवीयता कोने में बैठकर आंसू बहाती हैं कुछ ऐसा ही हुआ उस रात भी जब कुछ आतंकवादियों ने एकाएक रात को मुंबई को अपने कब्जे में ले लिया इस घटना के तीन बड़े मोर्चे थे मुंबई का ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस और जब हमला हुआ तो ताज में 450 और ओबेरॉय में 380 मेहमान मौजूद थे लेकिन, किसी को कोई नुक्सान नहीं हुआ क्योंकि सुरक्षा बल ने बड़ी सक्रियता के साथ मोर्चा संभाला था हालांकि स्थिति को पूरी तरह नियंत्रण में लेने में ३ दिन का समय लगा लग गया जिसमें कई बेकुसूर लोगों के साथ-साथ हमारे वीर जवानों की जान भी गयी लेकिन, उसके बावजूद भी उन्होंने सभी आतंकियों को मार गिराया तो ‘अजमल कसाब’ को जीवित गिरफतार कर लिया इस तरह ये तारीख इतिहास में कालिख की तरह दर्ज हो गयी । भले ही इस घटना के कारण हमें अपने वीर जवानों की आहुति देनी पड़ी लेकिन, इसके साथ ही इसने एक बार फिर संविधान की ताकत को मजबूत किया कि यहाँ के लोग मुश्किल हालातों में एक साथ मिलकर उसका सामना करते क्योंकि इस घटना का दौरान केंद्र भले एक स्थान था लेकिन, संपूर्ण देश एक साथ खड़ा होकर उनके लिये दुआ मांग रहा था ।

इस दिन को यादगार बनाने के लिये देश के कर्मठ, समर्पित देशभक्तों के द्वारा जो प्रयास किये गये उसमें कुछ गद्दारों ने जरुर कालिमा पोती फिर भी ‘राष्ट्रीय संविधान दिवस’ हमारे लिये गौरव की बात तो सबको बधाई... :) :) :) !!!      

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२६ नवंबर २०१७

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