गुरुवार, 9 नवंबर 2017

सुर-२०१७-३१० : 'सेफ्टीपिन' !!!



वक़्त-ए-ज़रूरत
लिबास के दो सिरों को
जोड़कर आलपिन से
काम चला लिया जाता हैं
मगर, 'रिश्ता'
न जाने किन रेशों से
बुना होता हैं कि
उसे कभी भी
किसी भी
'सेफ्टीपिन' से
जोड़ा नहीं जा सकता

रिश्तों को
जोड़ने वाली भी
कोई तो 'पिन' होती
काश...!!!
       
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०९ नवंबर २०१७

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