रविवार, 14 जनवरी 2018

सुर-२०१८-१४ : #मकर_राशि_में_सूर्य_आया_शुभ_संदेश_लाया


'सूरज' को जीवन प्रदाता और प्रत्यक्ष देवता कहने का तात्पर्य केवल इतना हैं कि बिन इसके किसी भी जीवित प्राणी के अस्तित्व की कल्पना भी असंभव हैं । यही वो एकमात्र ईश्वर जो सभी मज़हबों को जोड़ता हैं कि इस पर किसी एक का अधिकार नहीं ये तो सबका हैं और सभी इसके उदित और अस्त होने से अपनी दिनचर्या को निर्धारित कर काल की गणना करते हैं । इस तरह ये सबके जीवन की धुरी जो स्वयं घूमकर सबको अपने इर्द-गिर्द नचाता हैं और इसके प्रकाश से हमारे भीतर प्राणों का संचार होता इसकी रोशनी हमें अनंत ऊर्जा से भर देती हैं ।

जैसे-जैसे ये प्रखर होता हमारे भीतर भी आत्मविश्वास बढ़ने लगता और असंभव संभव लगने लगता इतना अधिक ये अपने तेज से हमारे क्रियाकलापों ही नहीं हमारी मानसिकता को भी प्रभावित करता हैं । जब कभी ये मद्धम हो या इसका प्रकाश मलिन दिखाई दे भीतर भी उत्साह में कमी आ जाती और एकाएक इसके चमक जाने से मानो, अंदर भी कोई ऊर्जा स्रोत जागृत हो जाता हैं । पता नहीं आप सबने ये महसूस किया हो या नहीं लेकिन, मैंने 'सूरज' के विभिन्न रूप-रंग और गतिविधियों से अपने अंदर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव को महसूस किया हैं । इसकी प्रखरता जहां भीतर नूतन जोश और कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा करती वहीं इसकी मलिनतान को हतोत्साहित कर कर्म के प्रति उदासीन करती हैं ।

जब ये उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करता और इसके प्रकाश में तपिश बढ़ती तो भले, बाहर से गर्मी चुभे लेकिन, अंदर जोश उबाल मारता कि सूरज की किरणें वास्तव में प्रेरणा का पुंज होती हैं । इसलिए इस घड़ी का इंतज़ार तो भीष्म पितामह ने असीम वेदना सहन करते हुये शरशैया पर लेटकर भी किया कि इच्छामृत्यु के वरदान के लिये उनको यही सबसे सही समय लगा । आज शाम से मकर संक्रांति के आने के साथ ही ये ऊर्जामय दिनों की शुरुआत का जयघोष हो गया सभी को इस मंगलमय दिवस कक मंगलकारी शुभकामनाएं... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१४ जनवरी २०१८

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